वृहस्पति गृह वैदिक ज्योतिष में देवताओं के भी गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हैं । यूँ तो कुंडली के पांच भावों के कारक गुरु एक सौम्य, देव ग्रह है , लेकिन मान ऐसा है की भरी सभा में प्रवेश करें तो राजा को भी उठ कर स्वागत करना पड़े। ज्ञान के प्रतीक गुरु सभी प्रकार की सुख समृद्धि प्रदान करने वाले सभी बाधाओं को दूर करने में पूर्णतया सक्षम माने जाते हैं । वृहस्पति देव धनु व् मीन राशि के स्वामी है , जो कर्क राशि में उच्च और मकर में नीच के हो जाते हैं । ज्योतिष विद्वानों के अनुसार यदि गुरु व् अन्य किसी गृह में से किसी एक को चुनना पड़े तो हमेशा गुरु को ही महत्व देना श्रेयस्कर है । शुभ रत्न पुखराज व् रंग पीला है । धनु राशि एक क्षत्रिय वर्ण राशि है वहीँ मीन ब्राह्मण वर्ण है जो दर्शाता है की गुरु ज्ञान व् पराक्रम दोनों का ही प्रतिनिधित्व करने वाले हैं ।
गुरु ग्रह – राशि, भाव और विशेषताएं – Guru Grah Rashi – Bhav characteristics :
- राशि स्वामी : गुरु
- राशि स्वामित्व : धनु , मीन
- दिन : वीरवार
- अन्न: सरसों
- तत्व: अग्नि – धनु राशि, जल – मीन
- जाति: क्षत्रिय – धनु , ब्राह्मण – मीन
- लिंग: पुरुष
- अराध्य/इष्ट : शिव , गणेश ,
- उच्च राशि : कर्क
- नीच राशि : कुम्भ
- शुभ रत्न : पुखराज
- शुभ रंग : पीला
- उपरत्न : सुनैला
- महादशा समय : 16 वर्ष
गुरु ग्रह के शुभ फल – प्रभाव कुंडली – Guru shubh Fal – Jupiter Planet :
- समाज में प्रतिष्ठा दिलाता है
- ऊंचे पद पर आसीन करवाता है
- उत्तम संतान दिलवाता है
- सभी प्रकार के वाद विवाद में विजयी बनाता है
- सभी प्रकार के भौतिक ( मकान , वाहन ,संपत्ति ) व् आध्यात्मिक सुखों का कारक है
गुरु ग्रह के अशुभ फल – प्रभाव कुंडली – Guru Ashubh Fal – Jupiter Planet :
- मान प्रतिष्ठा में कमी आना
- गुरुओं का अपमान करता है
- सोना चोरी या गुम होना
- चर्बी बढ़ना
- बच्चों की चिंता लगी रहना
- भौतिक , आध्यात्मिक सुखों में कमी आना
- व्यर्थ वाद – विवाद में पढ़ना व् हार जाना
- अधिकतर समय में बिना कारण भी चिंता बने रहना आदि
गुरु शांति के उपाय – रत्न Guru shanti upay – Ratn/Stone :
किसी कारण वश कुंडली में गुरु शुभ होकर बलाबल में कमजोर हो तो पुखराज रत्न धारण करना चाहिए । पुखराज के अभाव में सुनैला का उपयोग किया जाता है । कोई भी रत्न धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान की सलाह आवश्य लें । यदि जन्मकुंडली में गुरु मारक हो तो करें ये उपाय :
- गुरूवार का व्रत रखें
- नित्य वृहस्पति देव के मंत्र की एक माला आवश्य करें
- गुरुओं व् गुरु तुल्य सामान्य जन का भी सम्मान करें
- सात्विक भोजन ग्रहण करें
- ब्राह्मण को पीले वस्त्र दान करें
- किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर प्रज्ञावर्धन स्तोत्र का पाठ करें