प्रथम भाव या फर्स्ट हाउस को लग्न, तनु, होरा, आरम्भ आदि कई नामों से जाना जाता है । लग्न कुंडली के प्रथम भाव से जातक के लक्षण, व्यक्तित्व, आचार विचार, व्यवहार का विचार किया जाता है । जातक देखने में कैसा है, इसका बात करने का तरीका कैसा है, यह कैसी सोच का इंसान है ? जातक की कद काठी कैसी है ? जातक में निर्णय लेने की क्षमता है या नहीं, असेंडेंट का स्वास्थ्य कैसा है, जातक जीवन में कामयाब होगा या नहीं आदि विषयों की जानकारी प्रथम भाव प्रदान करता है । इसके साथ ही जातक की व्याधि का अनुमान भी पहले घर से लगाया जाता है । जैसे जातक के चेहरे या अन्य किसी बॉडी पार्ट पर चोट का निशान इस भाव से देखा जायेगा । इसके अतिरिक्त जन्म से मिली बीमारी का अवलोकन भी फर्स्ट हाउस से किया जाता है । जातक अच्छे कामो से यश प्राप्त करेगा या खानदान के नाम पर बट्टा लगाएगा ? पराक्रमी होगा या डरपोक, पढ़ने लिखने में कैसा होगा, घुम्मकड़ होगा या उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए यात्राएं करेगा, माँ पिता की सेवा की सेवा करेगा या नहीं आदि अनेक विषयों की जानकारी प्रथम भाव से प्राप्त की जाती है । यह भाव जातक की पोटेंशिअल अथवा जील दर्शाता है । इस भाव से जातक का बल देखा जाता है की ये जातक मुसीबतों से जल्दी हार मान जाने वाला है या डटकर उनका मुकाबला करके जीत हासिल करने वाला है । साथ ही प्रथम भाव से जातक का वर्ण ( ब्राह्मण, क्षत्रीय, शूद्र, वैश्य ) , प्रकृति ( वात, पित्त, कफ ) की जानकारी प्राप्त की जाती है । पहले भाव के सम्बन्ध में जानने के लिए प्रथम भाव में आये गृह व् प्रथमेश का अन्य भावों व् ग्रहों से सम्बन्ध का भली प्रकार अध्ययन किया जाता है ।
प्रथम भाव से जुड़े अन्य पक्ष Other aspects related to first house :
दुसरे भाव से बारहवां भाव होने के चलते यह कुटुंब का व्यय भाव बनता है । प्रथम भाव छोटे भाई बहन का लाभ भाव होता है क्यूंकि तीसरे से ग्यारहवां भाव होता है । अतः यह भाव छोटे भाई बहन के लाभ दिखाता है । सुख स्थान का कर्म भाव बनता है तो सुख में वृद्धिकारक है । पंचम से नवम भाव होता है । संतान की धार्मिक आस्थाओं को उजागर करता है । छठे भाव से अष्टम होता है । तो असेंडेंट को या असेंडेंट से मामा को होने वाली टेंशन की जानकारी देता है । सप्तम से सप्तम होता है । साझेदारों की डेली इनकम और जातक से साझेदारों को मिलने वाले लाभ दिखाता है । दशम का सुख भाव होता है तो पिता के सुख को इस भाव से देखा जाएगा । ऐसे ही ग्यारहवें भाव से तीसरा भाव होने की वजह से बड़े भाई बहन की कार्य क्षमता या पराक्रम का अनुमान प्रथम भाव से लगाया जाता है । बारहवें का धन भाव होने से यह भाव विदेश से होने वाली धन प्राप्ति या जातक पर पड़ने वाले विदेशी प्रभाव को दर्शाता है ।
ध्यान देने योग्य है की जातक की कुंडली का उचित विश्लेषण करने के लिए उसके प्रथम का विश्लेषण भली प्रकार कर लेना चाहिए । क्यूंकि अन्य भाव जातक से ही जुड़े होते हैं इसलिए प्रथम भाव को भली प्रकार जांचने परखने पर ही आगे बढ़ना चाहिए । आदिनाथ का आशीर्वाद आप सभी को प्राप्त हो ।