लग्न कुंडली के पांचवें घर को पंचम भाव या पंचम स्थान कहा जाता है । लग्न भाव त्रिकोण व् केंद्र दोनों माना जाता है और पंचम व् नवम भाव त्रिकोण भाव कहलाते हैं । केंद्र व् त्रिकोण दोनों कुंडली के शुभ स्थान होते हैं । आज की हमारी चर्चा पंचम भाव व् पंचम के अन्य भावों के साथ सम्बन्ध पर ही केंद्रित होगी । काल पुरुष की कुंडली में पंचम भाव में सिंह राशि आती है । सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं । शरीर में इस भाव से ह्रदय व् ह्रदय से सम्बंधित मामलों का विचार किया जाता है । जातक के लव अफेयर होंगे या नहीं ? अगर होंगे तो कामयाबी मिलेगी या नहीं ? क्या लव लाइफ मैरिड लाइफ में परिवर्तित होगी या नहीं ? क्या लव मैरिज सक्सेसफुल होगी ? आदि अनेक सवालों का जवाब तलाशने के लिए पंचम भाव का विचार बहुत आवश्यक हो जाता है । पांचवें भाव से असेंडेंट ( जातक ) की बुद्धि का भी विचार किया जाता है और प्रथम संतान का भी । पहली संतान मेल होगी या फीमेल की जानकारी इस ही भाव से प्राप्त की आती है । मकान वाहन और माता के सुख में वृद्धि करने की वजह से यह भाव जातक के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है । पंचम को हार्ड वर्क में कमी लाने वाले भाव के रूप में भी देखा जाता है । एक्टिंग, फिल्म, सिनेमा में जातक की रुचि जान्ने के लिए इस भाव का विचार किया जाता है । इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के खेलों से जातक का सम्बन्ध भी इसी भाव से देखा जाता है ।
पंचम भाव से जुड़े अन्य पक्ष Other factors related to Fifth house :
पंचम भाव लग्न कुंडली के तीसरे भाव से तीसरा होता है इसलिए छोटे भाई के पराक्रम का विचार इस भाव से किया जाता है । वहीँ तृतीय भाव पंचम का लाभेश बनता है, अतः जातक के गेन्स के बारे में जानकारी प्रदान करता है । यह भाव असेंडेंट की संतान का भाव भी माना जाता है सो पिता संतान के संबंधों की संबंधों की जानकारी भी काफी हद तक इस भाव या भावेश से प्राप्त की जाती है । यदि लग्नेश के साथ पंचमेश का सम्बन्ध हो तो जातक बहुत बुद्धिमान माना जाता है । चतुर्थ से द्वितीय होता है तो माता के धन की जानकारी प्रदान करता है, माता के सुख व् अन्य मकान, वाहन, संपत्ति के सुखों में वृद्धिकारक कहा गया है । छठे से द्वादश है सो छठे के शुभ फलों में कमी लाता है । सप्तम का लाभ स्थान होने की वजह से साझेदारों के लाभ का विचार भी इसी भाव से किया जाता है । पत्नी की तरक्की और उन्नति का विचार भी इसी भाव से किया जाता है ।
पिता की धर्मपरायणता इस भाव से देखि जाती है । पिता की धार्मिक यात्राओं की जानकारी बताने वाला यह भाव पिता के लिए भाग्यवर्धक कहा जाता है । नवम से नवम भाव होने के चलते यह नवम भाव व् भावेश के लिए शुभता प्रदान करता है । ग्यारहवें भाव से सप्तम होता है सो इस भाव से बड़े भाई बहन के पति पत्नी के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है । उनकी दैनिक आय व् उनके अन्य साझेदारों के सम्बन्ध के विषय में इनफार्मेशन प्राप्त की जा सकती है । घर के रसोईघर को भी पंचम भाव कहा जाता है ।