X

नव गृह और उनकी उच्च नीच राशियां Nine planets and their Exalted and Debilitated

जैसा की आप सभी को भली प्रकार से विदित है की एक अच्छा ज्योतिषी बनने के लिए कुछ बेसिक्स की जानकारी परम आवश्यक है । कुछ महत्वपूर्ण बेसिक जानकारी हमने आपके साथ साझा की है और आज हम आपको बताएँगे की किस राशि में कौन सा गृह उच्च स्थिति में आ जाता है या उच्च का कहलाता है और किस राशि में आने पर कौन सा गृह नीच स्थिति में आ जाता है । उच्च राशि में स्थित होने पर कोई भी गृह शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हो जाता है और इसी प्रकार नीच राशि में स्थित होने पर वही गृह अशुभ फल प्रदायक हो जाता है । फिलहाल हम केवल इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगे की किस राशि में स्थित होने पर कौन सा गृह उच्च और कौन सा गृह नीच अवस्था को प्राप्त होता है ….




नव गृह और उनकी उच्च नीच राशियां Nine planets and their Exalted/Debilitated Rashies

मेष राशि Aries/Mesh Rashi :

मेष राशि सूर्य देव की उच्च राशि है । यदि यही सूर्य मेष से सातवीं राशि तुला में स्थित हों तो नीच के कहे जाते हैं ।

वृष राशि Taurus/Vrish Rashi :

वृष राशि चंद्र देवता की उच्च राशि है और वृश्चिक राशि में चन्द्रमा नीच अवस्था को प्राप्त होते हैं । इसके साथ ही वृष राशि राहु की भी उच्च राशि मानी जाती है और वृश्चिक राशि में राहु नीच के गिने जाते हैं ।

मिथुन राशि Gemini/Mithun Rashi :

मिथुन राशि में राहु को उच्च और धनु में नीच का गिना जाता है ।

Also Read: मिथुन लग्न की कुंडली में राहु – Mithun Lagn Kundali me Rahu

कर्क राशि Cancer/Kark Rashi :

कर्क राशि में वृहस्पति उच्च और मकर राशि में नीच के कहे गए हैं ।

सिंह राशि Singh/Leo Rashi :

सिंह राशि में कोई भी गृह उच्च अथवा नीच नहीं होता ।

कन्या राशि Vergo/Kanya Rashi :

कन्या राशि के स्वामी बुद्ध स्वयं ही कन्या में उच्च के कहे जाते हैं । यही बुद्ध अपनी उच्च राशि से ठीक सातवें राशि मीन में स्थित होने पर नीच के हो जाते हैं ।



तुला राशि Libra/Tula Rashi :

तुला राशि शनि देव की उच्च राशि है । तुला राशि से आगे गिनती करने पर ठीक सातवीं राशि मेष शनि देव की नीच राशि होती है ।

वृश्चिक राशि Scorpio/Vrishchik Rashi :

वृश्चिक राशि केतु देवता की उच्च राशि गुनी जाती है और वृष राशि में केतु नीच के गिने जाते हैं ।

Also Read: वृश्चिक लग्न कुंडली (Vrishchik Lagna) – जानकारी, विशेषताएँ, शुभ -अशुभ ग्रह

धनु राशि Sagittarius/Dhanu Rashi :

धनु राशि भी केतु देवता की उच्च राशि गिनी जाती है और मिथुन राशि में केतु नीच के गिने जाते हैं ।

मकर राशि Capricorn/Makar Rashi :

मकर राशि मंगल देवता की उच्च राशि है । यदि मकर राशि को पहली राशि मान कर गिना जाए तो कर्क राशि मकर से ठीक सातवीं पड़ती है । कर्क राशि मंगल देवता की नीच राशि कही गयी है ।

कुम्भ राशि Aquarius/Kumbh Rashi :

कुम्भ राशि में कोई भी ग्रह उच्च अथवा नीच का नहीं गिना जाता ।

मीन राशि Pysces/Meen Rashi :

मीन राशि में दैत्य गुरु शुक्र अपनी उच्चतम अवस्था में होते हैं, उच्च के गिने जाते हैं । यही शुक्र कन्या राशि में नीच केगिने जाते हैं ।

ध्यान देने योग्य है की जो गृह जिस राशि में उच्च का होता है उससे ठीक सातवीं राशि में नीच का गिना जाता है । ऐसा ही नियम नीच राशिस्थ ग्रहों पर भी लागू होता है । शुरुआत में ध्यान रखें की की जिस राशि में कोई गृह उच्च का हुआ है ठीक उसी राशि से गिनती शुरू करें, जैसे : यदि मेष राशि में सूर्य उच्च के हैं तो मेष राशि को पहली राशि माने, वृष को दूसरी और इसी प्रकार से गिनते हुए तुला सातवीं राशि आएगी जो सूर्य की नीच राशि है ।

ज्योतिष सम्बन्धी और अधिक जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहिये । अगले आर्टिकल से हम विभिन्न लग्न कुण्डियों के शुभ अशुभ एवं सम ग्रहों के बारे में जानकारी आपसे साझा करेंगे । साथ ही हमारा प्रयास रहेगा की इन शुभ अशुभ ग्रहों के हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी बात की जा सके । आपने अपना कीमती वख़्त jyotishhindi.in पर व्यतीत किया । इसके लिए हम आपके बहुत आभारी हैं । अपना स्नेहशीर्वाद बनाये रखियेगा, धन्यवाद ।

Jyotish हिन्दी:
Related Post