धनु लग्न की कुंडली में मंगल  – dhanu lagn kundali me mangal (mars)

धनु लग्न की कुंडली में मंगल – Dhanu Lagn Kundali me Mangal (Mars)

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  • ज्योतिष विशेष, लग्न विचार
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  • भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मंगल देवताओं के सेनापति कहे जाते हैं । स्वभाव से क्रूर देव गृह मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं जो कर्क में नीच व् मकर राशि में उच्च के माने जाते हैं । धनु लग्न की कुंडली में मंगल पंचमेश , द्वादशेश होकर एक कारक गृह के रूप में मान्य हैं । यदि मंगल शुभ स्थित होकर बलाबल में कमजोर हों तो इस लग्न कुंडली के जातक को मूंगा धारण करना चाहिए। आपको बताते चलें की जन्मपत्री के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है , दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है आदि । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हम धनु लग्न कुंडली के १२ भावों में मंगल देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे …




    धनु लग्न – प्रथम भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal pratham bhav me :

    यदि लग्न में मंगल हो तो स्वास्थ्य बहुत अच्छा होता है , डिसिशन मेकिंग बहुत उम्दा होती है और जातक बहुत मेहनती होता है। मंगल की महादशा में स्वास्थ्य अच्छारहता है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । मकान वाहन संपत्ति का सुख प्राप्त होता है , माता का जातक से – जातक का माता से बहुत लगाव होता है ।दाम्पत्य जीवनके लिए मंगल शुभता प्रदान करते है और साझेदारी के काम से लाभ का योग बनता है । मंगल अपनी शक्ति – सामर्थ्य से सभी बाधाओं को दूर करने में सक्षम होता है।

    धनु लग्न – द्वितीय भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal dwitiya bhav me :

    ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का साथ मिलता है । जातक के परिवार में धन का आगमन होता रहता है । वाणी उग्र होती है । मंगल की महादशा में रुकावटेंजातक का सामना नहीं कर पाती हैं , पुत्र प्राप्ति का योग बनाता है । जातक धार्मिक होता है और पिता का सम्मान करने वाला होता है , विदेश यात्रा करता है ।स्वास्थ्य उत्तम रहता है और अचानक धन लाभ का योग बनता है ।

    धनु लग्न – तृतीय भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal tritiy bhav me :

    जातक बहुत परश्रमी , पराक्रमी होता है । बहुत परिश्रम के बाद जातक का भाग्य उसका साथ देता है ।। छोटे भाई का योग बनता है । पिता से सम्बन्ध उत्तम रहते हैं। विदेश यात्रा में रुकावट आती है । रोग , ऋण , शत्रु , कोर्ट केस में विजय मिलती है । प्रोफेशन बहुत मेहनत वाला होता है ।

    धनु लग्न – चतुर्थ भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal chaturth bhav me

    मंगल की महदशा में चतुर्थ भाव में मंगल होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख प्राप्त होता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है ।विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है । दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है , दैनिक आय में उन्नति आती है ,साझेदारी के काम से लाभ मिलता है । बड़े भाइयों बहनो सेसंबंध बहुत अच्छे रहते हैं , लाभ प्राप्त होता है ।

    धनु लग्न – पंचम भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal pancham bhav me

    जातक बहुत सूझवान होता है , अचानक लाभ की स्थिति बनती है , बुद्धि उत्तेजक होती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे रहते हैं , लाभ में वृद्धि का योगबनता है । स्वास्थ्य उत्तम रहता है , पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । विदेश से लाभ का योग बनता है ।

    धनु लग्न – षष्टम भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal shashtm bhav me

    कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रतियोगिता में विजयश्री हाथ आती है । मंगल की महदशा में कोई न कोई टेंशन बनी रहती है। पुत्र को समस्याएँ आती हैं । हॉस्पिटल में खर्चा होता है । मंगल की महदशा में जातक को कोई न कोई टेंशन बनी रहती है । जातक का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता हैऔर विदेश सेटेलमेंट का योग बनता है । विपरीत राजयोग की स्थिति में मंगल के फलों में शुभता जाननी चाहिए ।

    धनु लग्न – सप्तम भाव में मंगल – Sagittarius Lagna – Mars saptam bhav me

    जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। पति / पत्नी थोड़ा झगड़ालू प्रवृत्ति के हो सकती है । व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योग बनता है।प्रोफेशन , स्वास्थ्य उत्तम स्थिति में रहता है , जातक की वाणी कठोर हो सकती है ।

    धनु लग्न – अष्टम भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal ashtam bhav me

    यहां मंगल के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । मंगल की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । कुटुंब का साथनहीं मिलता है , धन की हानि होती है । बड़े – छोटे भाई बहन को/से परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं । विपरीत राजयोग की स्थिति में मंगल के फलों में शुभताजाननी चाहिए ।



    धनु लग्न – नवम भाव में मंगल – Sagittarius Lagna – Mars navam bhav me :

    जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है । विदेश यात्रा होती है । छोटे भाई बहनो का साथ मिलता है । जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का सुख प्राप्त होता है।

    धनु लग्न – दशम भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal dasham bhav me :

    स्वास्थ्य उत्तम रहता है । जातक को भूमि, मकान, वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है । प्रोफेशन बुद्धि से जुड़ा हो सकता है और प्रोफेशनल लाइफ अच्छी होती है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । यहाँ मंगल दिशाबलि होते हैं ।

    धनु लग्न – एकादश भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal ekaadash bhav me :

    परिवार में धन का आगमन होता है तो जातक का मान घर में बना रहता है । बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर रहते है । पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावनारहती है जो बाद में ठीक भी हो जाती है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । बुद्धि , जुबान थोड़ी अग्रेसिव हो जाती है । जातक के दुश्मन सामने आने की हिम्मत नहीं करते हैं ।

    धनु लग्न – द्वादश भाव में मंगल – Dhanu Lagan – Mangal dwadash bhav me :

    हमेशा कोई ना कोई टेंशन बनी रहती है । साझेदारी के व्यापार में घाटा होता है । मंगल की महादशा में जातक को पैसे की किल्लत बहुत सताती है । मेहनत केपरिणाम नहीं मिलते हैं । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । मंगल की महदशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है । दाम्पत्य जीवन कलह से भरता है व् दैनिक आय में कमी आती है । विपरीत राजयोग की स्थिति में मंगल के फलों में शुभता जाननी चाहिए ।

    कृपया ध्यान दें ….मंगल के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । मंगल के 3, 6, 8, 12 भाव में स्थित होने पर किसी भी सूरत में मूंगा रत्न धारणन करें ( अस्त हो जाए तो पहना जा सकता है ) । छोटे भाई को सुख देने से मंगल के शुभ प्रभाव में बढ़ौतरी होती है । मंगलवार का व्रत रखें । भूल कर भी किसी की प्रॉपर्टी पर कब्जा न करें , मुफ्त में जमीन न लें (गिफ्ट भी नहीं ), हनुमान जी की उपासना करें । कुंडली का उचित विश्लेषण करवाने के उपरान्त ही किसी उपाय को अपनाएँ ।

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