ज्योतिषहिन्दी.इन के पाठकों को सादर नमन । ऐसा कई बार देखने में आता है की उच्च के शुभ योग होने पर भी जातक को उच्च के ग्रहों जैसे परिणाम नहीं प्राप्त हो पाते हैं । यूँ तो इसके बहुत से कारण होते हैं । इनमे से कुछ के बारे में हम पहले भो बात कर … Continue reading
बद्रीनाथ……..हिन्दू जीवनशैली का अभिन्न अंग है बद्रीनाथ । चार धामों में से एक धाम है बद्रीनाथ । भारतवर्ष के गौरवशाली इतिहास की एक ऐतहासिक धरोहर है बद्रीनाथ । भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर हिन्दू आस्था के एक प्रतीक के रूप में जाना जाता … Continue reading
मीन लग्न की कुंडली में गुरु लग्नेश हैं और दसवें भाव के स्वामी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की स्थिति देखना भी अनिवार्य है, यानी जिस भाव … Continue reading
कुम्भ लग्न की कुंडली में गुरु ग्यारहवें और दुसरे भाव के स्वामी हैं । दोनों वृहस्पति देव के कारक भाव हैं इस वजह से इस लग्न कुंडली में गुरु एक योगकारक गृह बनते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ … Continue reading
मकर लग्न की कुंडली में गुरु बारहवें और तीसरे भाव के स्वामी हैं, एक अकारक गृह बनते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की स्थिति देखना भी अनिवार्य है, यानी जिस भाव में … Continue reading
धनु लग्न की कुंडली में गुरु लग्नेश होने के साथ साथ चौथे भाव के स्वामी भी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । यही गुरु शुभ भाव में स्थित हो जाएँ तो अपनी दशाओं में शुभ फल फल प्रदान करने के लिए बाध्य हो जाते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक … Continue reading
वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरु दुसरे और पांचवें भाव के मालिक होकर एक योगकारक गृह बनते हैं, शुभ फल फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की … Continue reading
तुला लग्न की कुंडली में गुरु तीसरे और छठे भाव के मालिक होकर एक मारक गृह बनते हैं । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग, किस गृह की की जायेगी शांति…. तुला लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga … Continue reading
कन्या लग्न की कुंडली में गुरु चौथे और सातवें भाव के मालिक होकर एक सम गृह बनते हैं । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग, किस गृह की की जायेगी शांति…. कन्या लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga … Continue reading
सिंह लग्न की कुंडली में गुरु पांचवें और आठवें भाव के मालिक होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग, किस गृह की की जायेगी शांति…. सिंह लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga … Continue reading