लग्न विचार

मिथुन लग्न की कुंडली में शुक्र – Mithun Lagn Kundali me Shukra

दैत्य गुरु शुक्र सुंदरता, सौम्यता और सभी प्रकार की लक्ज़री और सुख सुविधा प्रदान करने वाले गृह के रूप में जाने जाते हैं । लग्न कुंडली के चौथे भाव में शुक्र को दिशा बल मिलता है । जिस जातक की कुंडली में शुक्र बलवान होता है उस पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा जाननी चाहिए … Continue reading

मिथुन लग्न की कुंडली में बुद्ध – Mithun Lagn Kundali me Budh (Mercury)

बुद्ध का संबंध बुद्धि से कहा गया है । लग्न या प्रथम भाव में बुद्ध को दिशा बलि कहा जाता है, और यदि बुद्ध लग्न में या कन्या राशि ( चतुर्थ भाव ) में ही विराजमान हों तो भद्र नाम के पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है । मिथुन लग्न कुंडली में बुद्ध लग्नेश, चतुर्थेश … Continue reading

मिथुन लग्न की कुंडली में चंद्र – Mithun Lagn Kundali me Chandra (Moon)

मिथुन लग्न कुंडली में चंद्र द्वितीयेश होने से एक मारक गृह होते है । अगर चंद्र बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर शुभ स्थित हो तो भी अधिकतर फल अशुभ ही प्राप्त होते हैं । इस लग्न कुंडली में चंद्र डिग्री में ताकतवर न हो तो इनके अशुभ फलों में कमी आती है … Continue reading

मिथुन लग्न की कुंडली में केतु – Mithun Lagn Kundali me Ketu

वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी, क्रूर, छाया गृह के रूप में देखा जाता है । जहां एक तरफ केतु को आध्यात्मिकता का कारक कहा गया है , वहींकेतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ के भी कारक है। इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा जाता है । … Continue reading

मिथुन लग्न की कुंडली में राहु – Mithun Lagn Kundali me Rahu

राहु को शनि देव की छाया भी कहा जाता है । कुंडली में उचित प्रकार से स्थित राहु जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करने वाला, बलिष्ठ, विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न … Continue reading

मिथुन लग्न की कुंडली में शनि – Mithun Lagn Kundali me Shani (Saturn)

वैदिक ज्योतिष में कर्म फल दाता शनि देव एक पापी और क्रूर गृह के रूप में प्रितिष्ठित हैं । सूर्य-पुत्र शनि मकर और कुम्भ राशि के स्वामी हैं जो मेष राशि में नीच व् तुला में उच्च के माने जाते हैं । मिथुन लग्न कुंडली में मंदगामी शनि अष्टमेश, नवमेश होते हैं । अतः शनि … Continue reading

मिथुन लग्न की कुंडली में गुरु – Mithun Lagn Kundali me Guru (Jupiter)

मिथुन लग्न कुंडली में देव गुरु बृहस्पति सप्तमेश, दशमेश होते हैं । अतः इस लग्न कुंडली में गुरु एक सम गृह हैं ।मिथुन लग्न की कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद जातक को गुरु रत्न पुखराज धारण करवाया जा सकता है । उचित विश्लेषण के अभाव में कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए । … Continue reading

मिथुन लग्न की कुंडली में सूर्य – Mithun Lagn Kundali me Surya (Sun)

भारतीय पौराणिक मान्यताओं में सूर्य को एक आत्म कारक देव गृह माना गया है । इन्हें ऐसे देव गृह कहा जाता है जो दृश्य हैं , जिसे हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं । सूर्यदेव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । मिथुन लग्न कुंडली में सूर्य तृतीय भाव का … Continue reading

वृष लग्न की कुंडली में शनि – Vrish Lagn Kundali me Shani (Saturn)

वैदिक ज्योतिष में कर्म फल दाता शनि देव एक पापी और क्रूर गृह के रूप में प्रितिष्ठित हैं । सूर्य-पुत्र शनि मकर और कुम्भ राशि के स्वामी हैं जो मेष राशि में नीच व् तुला में उच्च के माने जाते हैं । वृष लग्न कुंडली में मंदगामी शनि नवमेश, दशमेश होते हैं । त्रिकोण और … Continue reading

वृष लग्न की कुंडली में शुक्र – Vrish Lagn Kundali me Shukr

दैत्य गुरु शुक्र सुंदरता , सौम्यता और सभी प्रकार की लक्ज़री और सुख सुविधा प्रदान करने वाले गृह के रूप में जाने जाते हैं । लग्न कुंडली के चौथे भाव में शुक्र कोदिशा बल मिलता है । जिस जातक की कुंडली में शुक्र बलवान होता है उस पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा जाननी चाहिए … Continue reading

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