वृश्चिक लरषि का स्वामी मंगल, चिन्ह बिच्छू, तत्व जल , जाती ब्राह्मण, स्वभाव स्थिर, लिंग पुरुष व् ईष्ट देव गणेश भगवान् हैं । कालपुरुष कुंडली में ये आठवें घर को दिखती है । वृश्चिक लग्न में लग्न व् छठे भाव की स्वामिनी बनती है । इन तथ्यों के आधार पर हम इस राशि के जातक … Continue reading
तुला लग्न के स्वामी शुक्र होते है । ये चर राशि है । तुला राशि में वायु तत्त्व की प्रधानता देखने को ,मिलती है । शूद्र वर्ण की ये राशि भचक्र की सातवें स्थान पर आने वाली राशि है । तुला राशि का विस्तार 180 अंश से 210 अंश तक फैला हुआ है । चित्रा … Continue reading
राशि चक्र की छठी राशि कन्या का स्वामी बुध है । इसका विस्तार 150 से 180 अंश है। इसका चिन्ह नाव खेती हुई कुंवारी कन्या है! कुछ ज्योतिषियों के मतानुसार इस कन्या एक एक हाथ में गेहूं की डाली व् दुसरे हाथ में लालटेन है और ये नाव में कहीं जा रही है, अन्य ज्योतिषियों … Continue reading
जिन व्यक्तियों के जन्म समय में चन्द्रमा सिंह लगन मे होता है, वे सिंह राशि के जातक कहलाते हैं । इसका विस्तार राशि चक्र के 120 अंश से 150 अंश तक है। दिशा पूर्व, चिन्ह शेर, स्वभाव स्थिर, तत्व अग्नि, राशि सिंह व् वर्ण क्षत्रिय होता है । इन तत्वों के आधार पर हम सिंह … Continue reading
कर्क भचक्र की चौथे स्थान पर आने वाली राशि है। यह चर राशि है, जल तत्व, विप्र वर्ण, स्त्री लिंगी होने से कर्क एक शुभ लग्न माना जाता है । इसका विस्तार चक्र 90 से 120 अंश के अन्दर पाया जाता है । इस राशि का स्वामी चन्द्रमा है । चिन्ह – केकड़ा व् इसके … Continue reading
ॐ श्री गणेशाये नमः । जातक का स्वभाव जानने के लिए जातक का राशि चिन्ह, तत्व, राशि स्वामी, वर्ण, लग्न में स्थित ग्रह ( कारक , मारक ) व् लग्न पर दृष्टि आदि तथ्यों को ध्यान में रखना अति आवश्यक हो जाता है । इन तथ्यों के आधार पर आप आसानी से व्यक्ति विशेष के … Continue reading
ॐ श्री गणेशाये नमः । किसी भी राशि से जुड़े चिन्ह उस राशि विशेष के सम्बन्ध में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी लिए होते हैं । वृष राशि का चिन्ह बैल है । बैल स्वभाव से शांत रहता है, बहुत अधिक पारिश्रमी और वीर्यवान होता है! आमतौर पर वो शांत ही रहता है, किन्तु एक बार यदि … Continue reading
वैदिक ज्योतिष में जब हम काल पुरुष की कुंडली का व्याख्यान करते हैं तो पहले भाव में 1 आता है जो मेष लग्न को दर्शाता है! मेष राशि चक्र की पहली राशि है! काल पुरुष की कुंडली का पहला खाना या प्रथम भाव कहे तो अत्यंत महत्वपूर्ण होता है! यही से हम लग्न की स्थिति … Continue reading