लग्न कुंडली के पांचवें घर को पंचम भाव या पंचम स्थान कहा जाता है । लग्न भाव त्रिकोण व् केंद्र दोनों माना जाता है और पंचम व् नवम भाव त्रिकोण भाव कहलाते हैं । केंद्र व् त्रिकोण दोनों कुंडली के शुभ स्थान होते हैं । आज की हमारी चर्चा पंचम भाव व् पंचम के अन्य … Continue reading
कालपुरुष कुंडली में चतुर्थ भाव में कर्क राशि आती है । कर्क के स्वामी चन्द्रमा को ज्योतिष विद्वानों ने बुद्ध की माता भी कहा है । सृष्टि में उपलब्ध सभी सुखों में श्रेष्ठ मात्र सुख का विचार फोर्थ हाउस से किया जाता है । इस भाव से माता से प्राप्त होने वाले सुख को और … Continue reading
द्वितीय भाव लग्न स्थान से दुसरे नंबर पर आता है । इसे धन भाव या द्वितीय भाव भी कहा जाता है । पुरातन काल में मोक्ष मानव जीवन का परम ध्येय माना जाता था । अल्टीमेट लिब्रशन में ही मानव देह की सार्थकता समझी जाती थी । कुटुंब, धन व् पत्नी आदि को सत्य की … Continue reading
द्वितीय भाव लग्न स्थान से दुसरे नंबर पर आता है । इसे धन भाव या द्वितीय भाव भी कहा जाता है । पुरातन काल में मोक्ष मानव जीवन का परम ध्येय माना जाता था । अल्टीमेट लिब्रशन में ही मानव देह की सार्थकता समझी जाती थी । कुटुंब, धन व् पत्नी आदि को सत्य की … Continue reading
प्रथम भाव या फर्स्ट हाउस को लग्न, तनु, होरा, आरम्भ आदि कई नामों से जाना जाता है । लग्न कुंडली के प्रथम भाव से जातक के लक्षण, व्यक्तित्व, आचार विचार, व्यवहार का विचार किया जाता है । जातक देखने में कैसा है, इसका बात करने का तरीका कैसा है, यह कैसी सोच का इंसान है … Continue reading
शनि देव की छाया कहे जाने वाले राहु कुंडली में शुभ स्थित होने पर जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला, बलिष्ठ, विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम अशुभ … Continue reading
शनि देव की छाया कहे जाने वाले राहु कुंडली में शुभ स्थित होने पर जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला, बलिष्ठ, विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम अशुभ … Continue reading
शनि देव की छाया कहे जाने वाले राहु कुंडली में शुभ स्थित होने पर जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला, बलिष्ठ, विवेकी , विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम … Continue reading
शनि देव की छाया कहे जाने वाले राहु कुंडली में शुभ स्थित होने पर जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला, बलिष्ठ , विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम … Continue reading
शनि देव की छाया कहे जाने वाले राहु कुंडली में शुभ स्थित होने पर जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला, बलिष्ठ, विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम अशुभ … Continue reading