मकर लग्न की कुंडली में प्रथम भाव से मांगलिक विचार Manglik dosha consideration when Mars is in first house in Capricorn/Makar lgna kundli मकर लग्न की कुंडली में मेष राशि चतुर्थ व् मकर राशि एकादश भाव में आती है, मंगल चतुर्थेश तथा एकादशेश होते हैं । मूल त्रिकोण राशि चौथे भाव में होने की वजह … Continue reading
कुम्भ लग्न की कुंडली में प्रथम भाव से मांगलिक विचार Manglik dosha consideration when Mars is in first house in Aquarius/Kumbh lgna kundli : कुम्भ लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में शनि देव की मूल त्रिकोण राशि आती है । अब यदि मंगल अपने अति शत्रु शनि की मूल त्रिकोण राशि में जाते हैं … Continue reading
मीन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव से मांगलिक विचार Manglik dosha consideration when Mars is in first house in Pisces/Meen lgna kundli : मीन लग्न की कुंडली में मंगल दुसरे और नौवें भाव के स्वामी होते हैं, एक शुभ गृह माने जाते हैं । यदि मंगल एक योगकारक गृह होकर सातवीं दृष्टि से सप्तम … Continue reading
लग्न से गिनना शुरू करें तो यह भाव बारहवें नंबर पर आता है । इसे व्यय भाव के नाम से भी जाना जाता है । जिस प्रकार ग्यारहवें भाव से जातक की आय या लाभदेखे जाते हैं उसी प्रकार बारहवें भाव से जातक को होने वाली हानियाँ और व्यय का विचार किया जाता है । … Continue reading
पुरातन समय में तत्व ज्ञान की महत्ता अधिक होने से ऋषि मुनि गण लाभ स्थान (ग्यारहवें भाव) को अधिक महत्व नहीं दिया करते थे वरन इस भाव को भगवत प्राप्ति में एक बड़ी बाधा के रूप में देखा जाता था । अतः इसे बाधक भाव कहा जाता था । किन्तु आज का युग अर्थ युग … Continue reading
भारतीय ज्योतिष में जन्मकुंडली के बारह भावों की रचना बारह राशियों के आधार पर की गई है । इन्हें द्वादश भाव कहा गया है । जन्म कुंडली या जन्मांग जातक के जन्म समय का स्क्रीन शॉट है अर्थात जन्मांग चक्र जातक के जन्म समय की स्थिति को दर्शाता है । प्रत्येक भाव हमारे जीवन की … Continue reading
किसी भी कार्य की उचित निष्पत्ति के लिए भाग्य का साथ होना बहुत जरूरी कहा गया है । भाग्य भाव का या भावेश या दोनों का अच्छा होना हमारे पूर्व जन्म के कर्मो पर निर्भर माना गया है । इस जन्म में आप अपने कर्म तो शुभ कर सकते हैं किन्तु भाग्य को शुभ या … Continue reading
जातक के जीवन में घटने वाली विभिन्न घटनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए देश, काल, परिस्थिति के साथ साथ सम्पूर्ण कुंडली विश्लेषण नितांत आवश्यक है । चूंकि प्रत्येक घटना का सम्बन्ध विभिन्न भावों, भावेशों,युतियों व् दृष्टियों से होता है इस कारणवश किसी भाव भावेश को शुभ या अशुभ नहीं कहा जा सकता । लग्न … Continue reading
वैदिक ज्योतिष में नव गृह, बारह भाव, बारह राशियां और अभिजीत को मिलकार अठ्ठाईस नक्षत्र सभी का मानव मन व् शरीर पर गहरा प्रभाव देखा गया है । भावों पर चर्चा की क्रमबद्ध श्रृंखला में आज हमारी चर्चा का विषय है सातवां भाव । जन्मकुंडली के लग्न से आरम्भ करें तो यह सातवें नंबर पर … Continue reading
कुंडली का छठा भाव त्रिक भाव है । यह ऋण, रोग, शत्रु से होने वाले कष्टों को दर्शाता है । मनुष्य शरीर में इस भाव से उदर ( पेट ) या उदर जनित रोगों का विचार किया जाता है । आयुर्वेद में पेट को सभी रोगो का जनक माना गया है । पहला भाव असेंडेंट … Continue reading