आज हम मेष लग्न की कुंडली में शुक्र के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में शुक्र कैसे फल प्रदान करतेहैं । मेष लग्न कुंडली में शुक्र द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होने से एक मारक गृह बनता है । अतः … Continue reading
आज हम मेष लग्न की कुंडली के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में मंगल कैसे फल प्रदान करते हैं । मंगल प्रथम और अष्टम भाव का स्वामी होता है । यह लग्नेश और अष्टमेश होने से जातक के रूप, चिन्ह, जाति, … Continue reading
आज हम मेष लग्न की कुंडली में बुद्ध के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में १२ भावों में बुद्ध कैसे फल प्रदान करतेहैं । मेष लग्न कुंडली में बुद्ध तृतीय और षष्टम भाव का स्वामी होने से एक मारक गृह बनता है । अतः … Continue reading
कुंडली का प्रथम भाव ‘लग्न होता है जो व्यक्ति के व्यवहार को तय करता है । मीन राशि का चिन्ह दो मछलियों का जोड़ा है। स्वामी वृहस्पति ,व् वर्ण ब्राह्मण होता है । ये एक द्विस्वभावी जल तत्व राशि है । मछली की तरह ही इनका स्वभाव होता है यह सदैव स्वतंत्र रहना पसंद करते … Continue reading
लग्न स्वामी शनि , चिन्ह घड़ा , तत्व वायु , जाति शूद्र , स्वभाव स्थिर , आराध्य माँ दुर्गा होते हैं । कुम्भ राशि भचक्र की ग्यारहवें स्थान पर आने वाली राशि है । राशि का विस्तार 300 अंश से 330 अंश तक फैला हुआ है । धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों, शतभिषा के … Continue reading
लग्न स्वामी शनि, चिन्ह मगरमच्छ, तत्व पृथ्वी, जाति वैश्य, स्वभाव चर, आराध्य बजरंग बलि होते हैं! मकर राशि भचक्र की दसवें स्थान पर आने वाली राशि है! राशि का विस्तार 270 अंश से 300 अंश तक फैला हुआ है । उत्तराषाढ़ा के दुसरे, तीसरे, चौथे चरण , श्रवण के चारों चरण तथा धनिष्ठा के पहले … Continue reading
लग्न स्वामी गुरु, चिन्ह धर्नुधर हैं जिसका पीछे का शरीर घोड़े का होता है हाथ में धनुष जिस पर बाण चढ़ा हुआ होता है, तत्व अग्नि, जाति क्षत्रिय, स्वभाव द्विस्भावी, आराध्य बजरंग बलि होते हैं । धनु लग्न के जातक का व्यक्तित्व व् विशेषताएँ। Dhanu Lagn jatak – Sagittarius Ascendent राशि स्वामी वृहस्पति होने से … Continue reading
वृश्चिक लरषि का स्वामी मंगल, चिन्ह बिच्छू, तत्व जल , जाती ब्राह्मण, स्वभाव स्थिर, लिंग पुरुष व् ईष्ट देव गणेश भगवान् हैं । कालपुरुष कुंडली में ये आठवें घर को दिखती है । वृश्चिक लग्न में लग्न व् छठे भाव की स्वामिनी बनती है । इन तथ्यों के आधार पर हम इस राशि के जातक … Continue reading
तुला लग्न के स्वामी शुक्र होते है । ये चर राशि है । तुला राशि में वायु तत्त्व की प्रधानता देखने को ,मिलती है । शूद्र वर्ण की ये राशि भचक्र की सातवें स्थान पर आने वाली राशि है । तुला राशि का विस्तार 180 अंश से 210 अंश तक फैला हुआ है । चित्रा … Continue reading
राशि चक्र की छठी राशि कन्या का स्वामी बुध है । इसका विस्तार 150 से 180 अंश है। इसका चिन्ह नाव खेती हुई कुंवारी कन्या है! कुछ ज्योतिषियों के मतानुसार इस कन्या एक एक हाथ में गेहूं की डाली व् दुसरे हाथ में लालटेन है और ये नाव में कहीं जा रही है, अन्य ज्योतिषियों … Continue reading