भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव वृश्चिक लग्न की कुंडली में दशमेश होकर एक कारक गृह होते हैं । अतः इस लग्न के जातक को लग्न कुंडली में सूर्य की शुभाशुभ स्थिति … Continue reading
भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सूर्य देव मीन लग्न की कुंडली में षष्ठेश होकर एक मारक गृह होते हैं । अतः इस लग्न के जातक को लग्न कुंडली में माणिक रत्न धारण नहीं करना चाहिए । आपको … Continue reading
भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव तुला लग्न की कुंडली में एकादशेश होकर एक मारक गृह होते हैं । तुला राषि में स्थित सूर्य नीच के माने जाते हैं और अधिकतर परिणाम … Continue reading
भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा , हड्डियों , दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सूर्य देव कुम्भ लग्न की कुंडली में सप्तमेश होकर एक मारक गृह होते हैं । अतः इस लग्न के जातक को लग्न कुंडली में माणिक रत्न धारण नहीं करना चाहिए … Continue reading
भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सूर्य देव धनु लग्न की कुंडली में नवमेश होकर एक कारक गृह होते हैं । अतः इस लग्न के जातक को लग्न कुंडली में सूर्य की शुभाशुभ स्थिति का जायज़ा लेने के … Continue reading
भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सूर्य देव मकर लग्न की कुंडली में अष्टमेश होकर एक मारक गृह होते हैं । अतः इस लग्न के जातक को लग्न कुंडली में माणिक रत्न धारण नहीं करना चाहिए । आपको … Continue reading
भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव कन्यालग्न की कुंडली में द्वादशेश होकर एक मारक गृह होते हैं । सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला में नीच के माने जाते हैं । … Continue reading
वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी, क्रूर, छाया गृह के रूप में देखा जाता है । जहां एक तरफ केतु को आध्यात्मिकता का कारक कहा गया है , वहीं केतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ के भी कारक है। इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा जाता है … Continue reading
शनि देव की छाया कहे जाने वाले राहु कुंडली में शुभ स्थित होने पर जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला, बलिष्ठ, विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम अशुभ … Continue reading
भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सौम्य गृह चन्द्रमा की कर्क लग्न कुंडली में सूर्य द्वितीयेश ( दुसरे घर के स्वामी ) होते हैं, अतः एक मारक गृह गिने जाते है । सूर्य मेष राशि में उच्च और … Continue reading