ज्योतिष योग

कन्या लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Virgo/kanya

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • कन्या लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in Virgo जब सूर्य बुद्ध कारक होकर कुंडली के किसी शुभ भाव में युति बना लें और बुद्ध अस्त न हों तो बुद्धादित्य राजयोग का निर्माण होता है । यह योग बनाने के लिए दोनों ग्रहों का शुभ भावों में होना अनिवार्य कहा … Continue reading

    सिंह लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग – Panchmahapurush yoga Consideration in Leo/Singh

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • जैसा की आप सभी जानते ही हैं की हमारी चर्चा विभिन्न लग्नकुंडलियों में पंचमहापुरुष योग के बारे में जारी है । इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हम जानेंगे की सिंह लग्न की कुंडली में कौन कौन से पंचमहापुरुष योग बनते हैं । आपको बताते चलें की सूर्य, चंद्र, राहु व् केतु ये चार … Continue reading

    सिंह लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Leo/Singh

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • सिंह लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga in Leo अब तक आप जान ही चुके हैं की सूर्यबुद्ध की किसी शुभ भाव में युति से बुद्धादित्य राजयोग का निर्माण होता है । यह योग बनाने के लिए दोनों ग्रहों का शुभ भावों में होना और बुद्ध का अस्त द्वितीय भाव न होना … Continue reading

    कर्क लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Cancer/Kark

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • कर्क लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in Cancer सूर्यबुद्ध की किसी शुभ भाव में युति से बनता है बुद्धादित्य राजयोग । यह योग बनाने के लिए दोनों ग्रहों का शुभ होना आवश्यक होता है । दोनों ग्रहों में से एक भी गृह अकारक हो तो ऐसी स्थिति में यह योग बना हुआ … Continue reading

    कर्क लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग – Panchmahapurush yoga Consideration in Cance/Kark

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • अभी तक आपने जाना की मंगल, बुद्ध, गुरु, शनि व् शुक्र पांच ऐसे गृह हैं जो पंचमहापुरुष योग बनाते हैं । यह योग मंगल, बुद्ध, गुरु, शनि व् शुक्र पांच ग्रहों में से किसी एक भी गृह के केंद्र में स्थित होने पर बनता है । यह भी जान लें की पंचमहापुरुष योग का निर्माण … Continue reading

    वृष लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग – Panchmahapurush yoga Consideration in Taurus/Vrish

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • जैसा की हमारे पाठक जानते ही हैं की पांच गृह पंचमहापुरुष योग का निर्माण करते हैं । मंगल, बुद्ध, गुरु, शनि व् शुक्र पांच ग्रहों में से किसी एक भी गृह के केंद्र में स्थित होने पर पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है । जांच का विषय है की पंचमहापुरुष योग का निर्माण करने वाला … Continue reading

    वृष लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Taurus/Vrish

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • बुद्ध व् सूर्य के योगकारक होकर किसी शुभ भाव में युति को बुध आदित्य योग कहा जाता है । वृष लग्न की कुंडली में सूर्य चतुर्थ भाव के स्वामी होकर एक सम गृह बनते हैं वहीँ बुद्ध दुसरे व् पांचवें भाव के स्वामी होने की वजह से एक कारक गृह बनते हैं । वृष लग्न … Continue reading

    मेष लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग – Panchmahapurush yoga Consideration in Aries/Mesh

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • यदि आप हमारे पिछले आर्टिकल से नहीं गुजरे तो आपको बताते चलें की पांच गृह ऐसे हैं जो पंचमहापुरुष योग ( Panchmahapurush yoga ) का निर्माण करते हैं । मंगल, बुद्ध, गुरु, शनि व् शुक्र पांच ग्रहों में से किसी एक भी गृह के केंद्र में स्थित होने पर यह योग बनता है । शर्त … Continue reading

    मेष लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Aries/Mesh

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • योगों की क्रमबद्ध श्रृंखला को जारी रखते हुए अब हम बुद्धादित्य योग पर चर्चा आरम्भ करने जा रहे हैं । यह योग बुद्ध और आदित्य ( सूर्य ) के संयोग से बनता है । जिस जातक की जन्मपत्री में यह योग होता है वह बुद्ध या सूर्य या दोनों की महादशा में अवश्य उन्नति करता … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • वृश्चिक लग्न की जन्मपत्री में किसी भी भाव में बुधादित्य योग नहीं बनता है । इसका मुख्य कारण बुद्ध गृह का अकारक होना होना है । बुद्ध लग्नेश मंगल के अति शत्रु हैं और साथ ही अष्टमेश, एकादशेश भी हैं । अपनी दशाओं में अशुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य है । हाँ यदि … Continue reading

    Popular Post