अपने अभी तक जाना की जब गुरुचंद्र जन्मपत्री के योगकारक होकर किसी शुभ भाव में स्थित हो जाएँ तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है । कन्या लग्न की जन्मपत्री में चंद्र एकादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । वहीँ गुरु चतुर्थेश, सप्तमेश होकर एक सम गृह जाने जाते हैं । शुभ स्थित होने … Continue reading
गुरु चंद्र का योगकारक होकर किसी शुभ भाव में स्थित होना गजकेसरी योग का निर्माण करता है । सिंह लग्न की जन्मपत्री में चंद्र द्वादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । वहीँ गुरु पंचमेश, अष्टमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । योगकारक गृह गुरु की दशाओं में जातक निसंदेह शुभ फल प्राप्त करता … Continue reading
कर्क लग्न की जन्मपत्री में गजकेसरी योग निसंदेह बनता है । इस जन्मपत्री में चंद्र प्रथम भाव के स्वामी यानी लग्नेश होते हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । इसी प्रकार गुरु षष्ठेश, नवमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । दोनों ग्रहों के विभिन्न भावों में स्थित होने पर इस योग के शुभ फल … Continue reading
मिथुन लग्न की जन्मपत्री में गुरु सातवें और दसवें भाव के स्वामी होकर एक सम गृह बनते हैं । चंद्र दुसरे भाव के स्वामी हैं और लग्नेश बुद्ध के शत्रु के रूप में जाने जाते हैं, इसलिए इस जन्मपत्री में एक अकारक गृह बनते हैं । चंद्र के अकारक होने की वजह से इस जन्मपत्री … Continue reading
पांच भावों के कारक गुरु व् सुख भाव के कारक चंद्र जब योग कारक होकर जन्मपत्री के किसी शुभ भाव में युति बनाते हैं तो इसे गजकेसरी योग कहा जाता है । यह योग गुरु के चंद्र से केंद्र में आने पर भी बना हुआ कहा जाता है, परन्तु हमारी रिसर्च में यह देखने में … Continue reading
आज से हम एक नए योग पर चर्चा प्रारम्भ करने जा रहे हैं । इस योग को गजकेसरी योग के नाम से जाना जाता है । जब चंद्र व् गुरु किसी जन्मपत्री में योगकारक गृह हों और किसी शुभ भाव में युति बनाकर स्थित हों तो इसे गजकेसरी योग कहा जाता है । कुछ ज्योतिषी … Continue reading
मकर लग्न की जन्मपत्री में सूर्य अष्टमेश होते हैं । सूर्य की शनि देव से शत्रुता भी है । इस लिए एक अकारक गृह बनते हैं और बुद्ध षष्ठेश, नवमेश व् शनि देव के अति मित्र होने की वजह से एक योगकारक गृह बनते हैं । अतः केवल बुध गृह ही योगकारक हैं । इस … Continue reading
पंचमहापुरुष योग (Panchmahapurush yoga) मंगल, बुद्ध, गुरु, शनि व् शुक्र पांच ग्रहों में से किसी एक गृह के बलाबल के साथ केंद्र में स्वराशिस्थ अथवा उच्चराशिस्थ होने पर बनता है । सूर्य, चंद्र, राहु व् केतु पंचमहापुरुष योग नहीं बनाते । योगो की इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज हम जानेंगे मकर लग्न की … Continue reading
मीन लग्न की जन्मपत्री में सूर्य का षष्ठेश होना इन्हें मारकत्व प्रदान करता है, एक मारक गृह बनाता है । बुद्ध चतुर्थेश व् सप्तमेश हैं, एक सम गृह माने जाते हैं । इस जन्मपत्री में यदि सूर्य विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाएँ तो छह अथवा बारहवें भाव में स्थित होने पर भी शुभ … Continue reading
पंचमहापुरुष योग (Panchmahapurush yoga ) के बारे में विस्तृत जानकारी लेने से पहले जान लेना आवश्यक है की मंगल, बुद्ध, गुरु, शनि व् शुक्र ये पांच गृह ऐसे हैं जो पंचमहापुरुष योग बनाते हैं । इन ग्रहों में से कोई भी गृह यह योग बना सकता जो लग्नकुंडली का एक योगकारक अथवा सम गृह हो, … Continue reading