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अनुराधा नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Anuradha Nakshatra Vedic Astrology

आज की हमारी चर्चा अनुराधा नक्षत्र पर केंद्रित है । वैदिक ज्योतिष में इस नक्षत्र को ब्रम्ह देव का चरण भी कहा गया है । यह आकाशमण्डल में मौजूद सत्रहवाँ नक्षत्र है जो २१३.२० डिग्री से लेकर २२६.४० डिग्री तक गति करता है । अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि, नक्षत्र देवता भैरव देव और राशि स्वामी मंगल हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।



अनुराधा नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में – Anuradha Nakshatra in Vedic Astrology :

अनुराधा नक्षत्र आकाशमण्डल में मौजूद तीन तारों से बनी हुई आकृति है । जिसका प्रतीक चिन्ह तोरण द्वार या विजय स्तम्भ है । अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं और यह नक्षत्र वृश्चिक राशि में ३.२० डिग्री से १६.४० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र के देवता भैरव या मित्र देव हैं । अनुराधा नक्षत्र के जातकों के जीवन पर शनि व् मंगल देव का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।

  • नक्षत्र स्वामी : शनि देव
  • नक्षत्र देव : मित्र अथवा भैरव
  • राशि स्वामी : मंगल देव
  • विंशोत्तरी दशा स्वामी : शनि देव
  • चरण अक्षर : ना, नी, नू, ने
  • वर्ण : शूद्र
  • गण : देव
  • योनि : मादा मृग
  • नाड़ी : मध्य
  • पक्षी : मोर
  • तत्व : अग्नि
  • प्रथम चरण : सूर्य
  • द्वितीय चरण : बुद्ध
  • तृतीय चरण : शुक्र
  • चतुर्थ चरण : मंगल
  • वृक्ष : बकुल या मौलश्री
  • बीज मंत्र : ॐ यं और ॐ रं
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अनुराधा नक्षत्र जातक की कुछ विशेषताएं व् जीवन Anuradha Nakshatra Jatak Characteristics & Life:

अनुराधा नक्षत्र के जातक आध्यात्मिक प्रवृत्ति के, निरंतर कार्यरत, सुन्दर नैन नक्श वाले, हमेशा अलर्ट, बहुत अधिक डिसिप्लिनड, अत्याधिक मेहनती, बुद्धिमान, पराक्रमी और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं । ऐसे जातक को आप शायद ही कभी आराम से बैठा हुआ देख पाएं । अधिकतर देखने में आता है की ये काफी कम उम्र से ही कमाना शुरू कर देते हैं । कैसी भी परेशानी हो ये सकारात्मक दीखते हैं । यदि कुंडली में मंगल की स्थिति अच्छी हो तो ये जातक अपने बल पर आपको रेस्पेक्टेबल ओहदे पर काम करते मिलेंगे । ये मेडिकल प्रोफेशन में जा सकते हैं, बहुत अच्छे सर्जन अथवा फिजिशियन हो सकते हैं । इस नक्षत्र के अधिकतर जातक आपको व्यापार करते मिलेंगे । ये दवाइयों के क्रय विक्रय से सम्बंधित बिज़नेस कर सकते हैं । कभी कभी इनके पारिवारिक जीवन में इमोशनल इम्बैलेंस देखने को मिलता है । अच्छा जीवन साथी प्राप्त होता है । अनुराधा नक्षत्र के जातक अपने बच्चों के मामले में बहुत अधिक पस्सेस्सिव देखे जाते हैं । ये स्वयं भी बच्चों की लाइफ को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते और संतान से भी ऐसा ही रिस्पांस चाहते हैं । बच्चों से ठीक रिस्पांस ना पाकर बहुत अधिक निराश होते हैं, क्रोध में आ जाते हैं । इस वजह से बच्चों से इनकी दूरी बढ़ती है ।

इस नक्षत्र की जातिकाएँ साफ़ दिल की, सुन्दर, आकर्षक, धार्मिक, अपने पति व् गुरुजनों का मान रखने वाली होती हैं । थोड़ी ज़िद्दी लेकिन साथ ही दूसरों के प्रति सेवा भाव रखने वाली और सर्जनात्मक होती हैं । इस नक्षत्र के जातक व् जातिका दोनों ही परोपकार के कार्य करके संतोष महसूस करते हैं । ऐसी जातिकाओं का पारवारिक जीवन सुखद होता है ।


अनुराधा नक्षत्र के जातक/ जातिका की मैरिड लाइफ Anuradha Nakshatra jatak/jatika married life :

अनुराधा नक्षत्र के जातक व् जातिका दोनों की मैरिड लाइफ अच्छी रहती है । अनुराधा नक्षत्र की जातिकाएँ आदर्श पत्नी होती हैं । बड़ों का सम्मान इनको भली भांति आता है । दोनों का ही वैवाहिक जीवन सुखी रहता है ।

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अनुराधा नक्षत्र जातक का स्वास्थ्य Anuradha Nakshatra jaataka health :

श्वास सम्बन्धी रोग जैसे नेज़ल प्रॉब्लम, अस्थमा, रेस्पिरेटरी ट्रैक से सम्बंधित बीमारी और कब्ज इत्यादि होने की संभावना अक्सर रहती है । इस नक्षत्र की जातिकाओं को मासिक धर्म सम्बन्धी समस्या रह सकती है । रोजाना बीज मन्त्र का १०८ बार उच्चारण करें आपकी रोग प्रतिकारक क्षमता में वृद्धि होती है, मानसिक तनाव दूर होता है, सफलता मिलने में सहायता प्राप्त होती है । नक्षत्र से सम्बंधित पेड़ से निर्मित औषधि रोगों को दूर करने में बहुत अधिक सहायक होती है ।

अनुराधा नक्षत्र जातक शिक्षा व् व्यवसाय – Anuradha Nakshatra jatak Education & business :

आप कठिन परिश्रम से कभी पीछे नहीं हटते, जीत हासिल करके रहते हैं । अनुराधा नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह विजय स्तम्भ है इस बात को हमेशा याद रखियेगा । आप दवाइयों से सम्बंधित व्यापार भी कर सकते और नौकरी भी । यदि नौकरी करते हैं तो आपको सम्मानजनक पद प्राप्त होता है । आप डॉक्टर, फिजिशियन अथवा नामी सर्जन होने की क्षमता रखते हैं । जीवन के ४०सवें वर्ष के बाद विशेष रूप से उन्नति करते हैं ।

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