ज्योतिषहिन्दीडॉटइन के नियमित पाठकों का ह्रदय से अभिनन्दन । भारतीय संस्कृति में महीनों के नाम ऋतुओं के आधार पर रखे गए जो की सहज भी प्रतीत होता है और तर्कसंगत भी । इसी प्रकार नक्षत्रों का नामकरण किया गया जिसका अपना ज्योतिषीय आधार है । आइये महीनों के नाम और नक्षत्रों के नामकरण के आपसी संबंधों को समझने का प्रयास करते हैं Months name, weather and their relations with Nakshtras
महीनों की शुरुआत चैत्र मास से मानी गयी है । प्रथम माह को चैत्र मास या चैत्र महीने के नाम से जाना जाता है । चैत्र मास की पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है ।
दुसरे महीने को वैशाख माह के नाम से जाना जाता है । इसी प्रकार बैसाख मास की पूर्णिमा को विशाखा नक्षत्र रहता है । इसे दुसरे महीने के रूप में जाना जाता है ।
तीसरा महीना ज्येष्ठ मास के नाम से विख्यात है । इसका सम्बन्ध ज्येष्ठा नक्षत्र से कहा गया है । ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को आकाश में ज्येष्ठा नक्षत्र रहता है । यह हिन्दू कैलेंडर का तीसरा महीना है ।
आषाढ़ की पूर्णिमा को पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा दो नक्षत्रों में से एक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है ।
यह आषाढ़ मास के बाद आता है । श्रावण की पूर्णिमा ( पूरे चाँद की रात ) को श्रवण नक्षत्र उदित हुआ रहता है ।
भादो (भाद्रपद) की पूर्णिमा को भाद्रपद या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र आकाश में उदित रहता है ।
अश्विन महीने की पूर्णिमा को अश्विनी नक्षत्र आकाश में प्रदीप्त रहता है ।
इसी प्रकार से कार्तिक माह की पूर्णिमा को कृतिका नक्षत्र स्पष्ट दीखता है ।
मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को मृगशिरा नक्षत्र और पौष माह की पूर्णिमा को पुष्य नक्षत्र का असर पृथ्वी वासियों पर रहता है ।
माघ की पूर्णिमा को मघा नक्षत्र तथा फाल्गुन की पूर्णिमा को पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रहता है ।
इस प्रकार से चैत्र मास की पूर्णिमा से लेकर फाल्गुन मास तक हमने हर महीने का नाम, मौसम और नक्षत्र के विलक्षण संयोग को जाना ।
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