जानिए सूर्य रत्न के बारे में – know about sun ratna ruby stone

जानिए सूर्य रत्न के बारे में – Know about Sun Ratna Ruby Stone

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  • रत्न धारण करने से पूर्व इस तथ्य की जांच परम आवश्यक है की जिस गृह से संबंधित रत्न आप धारण करने जा रहे हैं वह गृह जन्मपत्री में किस अवस्था में है । यदि वह गृह मारक हो अथवा अशुभ भावस्थ हो या नीच राशि में जाकर स्थित हो गया हो तो ऐसी स्थिति में कोई भी रत्न धारण नहीं किया जाता । कारक गृह छह, आठ या बारहवें भाव में स्थित होने के साथ अस्त भी हो जाए तो सम्बंधित रत्न धारण किया जा सकता है । रत्न केवल ऐसी अवस्था में धारण किया जाता है जब धारण किये जाने वाले रत्न से सम्बंधित गृह शुभ हो, शुभ स्थित भी हो और उसे ताकतवर बनाने की आवश्यकता हो । यहाँ यह भी आपसे सांझा करना बहुत आवश्यक हो जाता है की विपरीत राजयोग अथवा नीचभंग की स्थिति में भी गृह से सम्बंधित रत्न धारण नहीं किया जाता है ।




    सूर्य रत्न माणिक Sun ratna Ruby/Manik :

    सूर्य गृह से सम्बंधित रत्न है माणिक । यदि सूर्य गृह जन्मपत्री में एक योगकारक गृह होकर शुभ भाव में स्थित हो और बलाबल में कमजोर हो तो माणिक धारण किया जा सकता है ।

    माणिक का उपरत्न (Substitutes of Ruby) :

    यदि माणिक उपलब्ध न हो तो इसके स्थान पर तामड़ी , लालड़ी , लाल तुरमली, गार्नेट या स्पाइनल आदि में से कोई रत्न धारण किया जा सकता है । इनमे भी स्पाइनल को श्रेष्ठ माना जाता है ।

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    किसे धारण करना चाहिए माणिक Who can wear Ruby/Manik :

    सर्वप्रथम अपनी जन्मपत्री का सूक्ष्म विश्लेषण किसी योग्य ज्योतिषी से करवाएं और यदि वह सलाह दे तो ही कोई रत्न धारण करें । जन्मपत्री का विश्लेशण लग्न के आधार पर किया जाता है । विश्लेषण के आधार पर यदि रत्न धारण करना उचित पाया जाए तो ही किसी रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है । जो गृह जातक/जातिका की जन्मपत्री में योगकारक अथवा शुभ हो और शुभ भाव में स्थित हो तो ही सम्बंधित गृह का रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है । जिस गृह से सम्बंधित रत्न धारण किया जाना है वह मारक नहीं होना चाहिए और यदि यह एक योगकारक गृह हो तो कुंडली के छह, आठ अथवा बारहवें भाव में अथवा अपनी नीच राशि में नहीं होना चाहिए । आज हम आपसे सांझा करेंगे की मेष से लेकर मीन लग्न की कुंडली में किन किन भावों में स्थित होने पर सूर्य रत्न माणिक धारण किया जा सकता है और किन लग्न कुंडलियों में नहीं …

    मेष लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Aries/Mesh lgn kundli :

    मेष लग्न की जन्मपत्री में सूर्य देव पंचमेश होने के साथ साथ लग्नेश के अति मित्र भी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । इस जन्मपत्री में यदि सूर्य छह, आठ, बारह भाव या अपनी नीच राशि तुला में न हो तो माणिक धारण किया जा सकता है ।

    वृष लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Taurus/Vrish lagna kundli :

    वृष लग्न की जन्मपत्री में सूर्य चतुर्थेश होते हैं, एक सम गृह बनते हैं । यदि सूर्य छह, आठ अथवा बारहवें भाव में न हों और साथ ही अपनी नीच में स्थित न हों तो कुछ विशेष परिस्थितियों में माणिक रत्न धारण किया जा सकता है, कार्य संपन्न होने के पश्चात् इसे उतार दिता जाता है ।



    मिथुन लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Gemini/Mithun lagna kundli :

    मिथुन लग्न की जन्मपत्री में सूर्य तृतीयेश होते हैं, एक मारक गृह हैं । माणिक धारण नहीं किया जाएगा ।

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    कर्क लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Cancer/Kark lagna kundli :

    कर्क लग्न की कुंडली में सूर्य द्वितीयेश हैं, एक मारक गृह बने । मारक गृह का रत्न धारण नहीं किया जाता ।

    सिंह लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Leo/Singh lagna kundli :

    सिंह लग्न की कुंडली में सूर्य देव स्वयं लग्नेश हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । यदि शुभ भाव में स्थित हों तो सूर्य रत्न माणिक धारण किया जा सकता है ।

    कन्या लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Vergo/Kanya lagna kundli :

    कन्या लग्न की कुंडली में सूर्य द्वादशेश होकर एक मारक गृह बने । माणिक धारण नहीं किया जा सकता ।

    तुला लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Libra/Tula lagna kundli :

    तुला लग्न की कुंडली में सूर्य एकादशेश होते हैं, एक मारक गृह बनते हैं । माणिक धारण नहीं किया जा सकता ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Scorpio/Vrishchik lagna kundli :

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में सूर्य दशमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । योगकारक गृह का रत्न धारण किया जा सकता है ।

    धनु लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Sagittarius/Dhanu lagna kundli :

    धनु लग्न की कुंडली में सूर्य नवमेश होते हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । आवश्यकता पड़ने पर योगकारक गृह का रत्न धारण किया जा सकता है ।

    मकर लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Capricorn/Makar lagna kundli :

    मकर लग्न की कुंडली में सूर्य अष्टमेश होकर एक मारक गृह बनते हैं । आप जान ही चुके होंगे की मारक गृह का रत्न धारण नहीं किया जा सकता ।

    कुम्भ लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Aquarius/Kumbh lagna kundli :

    कुम्भ लग्न की कुंडली में सूर्य सप्तमेश होकर एक मारक गृह बनते हैं । माणिक किसी भी सूरत में धारण नहीं किया जाएगा ।

    मीन लग्न की कुंडली में माणिक Ruby/Manik in Pyscis/Meen lagna kundli :

    मीन लग्न की कुंडली में सूर्य षष्ठेश होकर एक मारक गृह बनते हैं । मारक गृह का रत्न धारण नहीं किया जाता ।

    कैसे धारण करें माणिक How to wear Ruby/Manik :

    माणिक रत्न सोने अथवा ताम्बे की अंगूठी में जड़वाकर इसे अनामिका अंगुली में धारण किया जाता है । इसके पूर्व अंगूठी में प्राण प्रतिष्ठा का विधान है । इसका शुद्धिकरण करने के लिए इसे दूध या गंगाजल में डुबाकर रख्खा जाता है । इसके बाद “ॐ घ्रणिः सूर्याय नम:” का १०८ बार जप करने के पश्चात् इसे धारण किया जाता है । धारण करने से पूर्व सूर्यदेव से आशीर्वाद बनाये रखने की प्रार्थना की जाती है ।

    माणिक रत्न के लाभ ( Benefits of Ruby/Manik ) :

    • व्यापार वृद्धि, धन, संपत्ति, यश, मान प्रतिष्ठा में वृद्धिकारक होता है ।
    • सरकारी नौकरी, राज्य से लाभ व् उच्च पद प्राप्ति में सहायक होता है ।
    • जातक की आयु, बुद्धि तथा वंशवृद्धि में सहायक होता है ।
    • दुःख मिटाता है, कायरता दूर करता है ।
    • इंजीनियरिंग, मेडिकल, भूविज्ञानी, वकील, नेताओं, कपड़ा व्यापारी, स्टॉक दलाली से जुड़े प्रोफेशन में सहायक होता है ।
    • ग्लैमर, फिल्म या मीडिया के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त करने में सहायक है ।
    • रोगों को दूर करता है, दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करता है ।
    • सभी प्रकार की सुख सुविधाएँ व् ऐश्वर्य प्रदान करता है ।
    • राजनीति में उन्नति व् उच्च पद प्राप्त करने में सहायक होता है ।
    • कम रक्तचाप, अनियमित दिल की धड़कन व् पक्षाघात जैसी बीमारी दूर करता है ।
    • शत्रुओं पर विजय दिलवाता है ।
    • प्रतिभावान बनाता है ।

    ध्यान देने योग्य है की कौतूहलवश कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए । यहाँ ये भी बता दें की कोई भी रत्न लग्न कुंडली का विश्लेषण करने के बाद रेकमेंड किया जाता है न की चंद्र कुंडली के आधार पर । चंद्र कुंडली को आधार बनाकर अथवा राशि पर आधारित रत्न किसी भी सूरत में धारण न करें ।

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