वृष लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – gajkesari yoga consideration in taurus/vrish

वृष लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Taurus/Vrish

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  • पांच भावों के कारक गुरु व् सुख भाव के कारक चंद्र जब योग कारक होकर जन्मपत्री के किसी शुभ भाव में युति बनाते हैं तो इसे गजकेसरी योग कहा जाता है । यह योग गुरु के चंद्र से केंद्र में आने पर भी बना हुआ कहा जाता है, परन्तु हमारी रिसर्च में यह देखने में आया है की यदि दोनों में से एक भी गृह अकारक हो, शुभ भाव में स्थित न हो और चंद्र या गुरु किसी पापी गृह से किसी तरह युति या दृष्टि सम्बन्ध बनाते हों, तो ऐसी स्थिति में गजकेसरी योग के फल प्राप्त नहीं होते । हम यह दावा बिलकुल नहीं करते की हम ही सही हैं । आप अपने अध्ययन, अपने अनुभव के आधार पर तय करें की क्या सही है । यही ज्योतिषीय दृष्टिकोण है ।




    वृष लग्नकुंडली में चंद्र तीसरे व् गुरु अष्टमेश, एकादशेश होकर अकारक गृह बनते हैं । दोनों ग्रहों के अकारक होने की वजह से स्पष्ट हो जाता है की वृष लग्न की कुंडली में किसी भी भाव में गजकेसरी योग नहीं बनता है ।

    वृष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in first house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    चन्द्र्गुरु की प्रथम भाव में युति से गजकेसरी योग नहीं बनेगा । दोनों ग्रहों की दशाओं में जातक बहुत परेशानियां झेलता है । जातक को अथक परिश्रम के बावजूद भी शुभ फलों के लिए तरसना पड़ता है । हर काम में रुकावटें आती ही रहती हैं ।

    वृष लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in second house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    यधपि गुरु की दशाओं में कुछ धन लाभ होता है परन्तु वृष लग्न कुंडली के धन भाव में चंद्र गुरु की युति बहुत शुभफलदायक नहीं होती । जातक के परिश्रम का फल कुटुंबजनों को प्राप्त होता है । जातक के विदेश से लाभ के योग बनते हैं, गजकेसरी योग नहीं बनता ।

    वृष लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in third house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    तीसरे भाव में स्थित स्वराशिस्थ चंद्र व् गुरु जातक के परिश्रम में बहुत वृद्धि कर देते हैं । ऐसा जातक अपने छोटे भाई बहन से बहुत लगाव भी रखता है । परिश्रम की तुलना में भाग्य जातक का साथ बहुत कम देता है । गजकेसरी योग नहीं बनेगा ।

    वृष लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fourth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    चतुर्थ भाव में चन्द्र्गुरु की युति से जातक के सुखों में कमी आती है । गुरु की दशाओं में जातक के विदेश में नौकरी के योग बनते हैं । परन्तु गजकेसरी योग नहीं बनता ।

    वृष लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fifth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    मेहनत में इजाफा होता है, दोनों ग्रहों की दशाओं में प्रेम संबंधों में असफलता के चान्सेस अधिक होते हैं । जातक मानसिक रूप से परेशान रहता है । अचानक घाटा ( नुक्सान ) हो सकता है । गुरु की दशाओं में कुछ शुभ फलों की उम्मीद की जा सकती है, क्यूंकि वो सातवीं दृष्टि से अपने घर को देखते हैं ।



    वृष लग्न की कुंडली में छठे भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in sixth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    त्रिक भावों में कोई योग नहीं बनेगा सिवाए विपरीत राजयोग के । यहाँ गुरु के स्थित होने पर शुभ परिणाम आ सकते हैं यदि शुक्र ( लग्नेश ) बलवान हो तो ।

    वृष लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in seventh house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    दोनों ग्रहों की दशाओं में अधिकतर अशुभ फल प्राप्त होते हैं । लाइफ पार्टनर और बिज़नेस पार्टनर के साथ संबंधों में परेशानियां आती हैं । साझेदारी के व्यापार में चंद्र गुरु की दशाओं में नुक्सान होने की सम्भावना रहती है । जातक का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता । चन्द्रगुरु की युति गजकेसरी योग का निर्माण नहीं करती ।

    वृष लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eighth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    त्रिक भाव में केवल विपरीत राजयोग बनता है वह भी तब जब छह, आठ अथवा बारहवें भाव के स्वामी इन्हीं भावों में से किसी भाव में स्थित हो जाएँ और लग्नेश बलवान हो । यहाँ गजकेसरी योग नहीं बनेगा । चंद्र की दशाओं में छोटे भाई बहन को समस्याएं आने के योग बनते हैं ।

    वृष लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in ninth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    चन्द्र्गुरु की नवम भाव में युति से जातक की पिता से नहीं निभती, परिश्रम का फल भी बहुत मुश्किल से ही प्राप्त होता है, जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता । यहाँ गुरु अपनी नीश राशि मकर में आ जाते हैं, चन्द्रगुरु की युति गजकेसरी योग का निर्माण नहीं करती ।

    वृष लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in tenth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    चन्द्र की दशाओं में सुख के साधनो की प्राप्ति के लिए बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता है । यदि लोन लेकर भूमि, मकान या वाहन की सुविधा प्राप्त की हो तो गुरुचंद्र की दशा में ऋण चुकाने के लिए बहुत खपना पड़ता है । जातक सुःख का अनुभव नहीं कर पाता । माता पिता से मन मुटाव रहता है ।

    वृष लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eleventh house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    यहाँ से गुरु पुत्र व् चंद्र पुत्री का योग बनाते हैं । अचानक हानि होने के योग बनते हैं । यहाँ गुरुचंद्र की युति से गजकेसरी योग नहीं बनता है ।

    वृष लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in twelth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । बारहवें भाव में गजकेसरी योग नहीं बनता । केवल गुरु विपरीत राजयोग की स्थिति में शुभ फलदायक कहे जाते हैं ।

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