मीन लग्न की जन्मपत्री में सूर्य का षष्ठेश होना इन्हें मारकत्व प्रदान करता है, एक मारक गृह बनाता है । बुद्ध चतुर्थेश व् सप्तमेश हैं, एक सम गृह माने जाते हैं । इस जन्मपत्री में यदि सूर्य विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाएँ तो छह अथवा बारहवें भाव में स्थित होने पर भी शुभ फल प्रदान करते हैं परन्तु बुद्धादित्य योग की निर्मिति में कतई सहायक नहीं हैं । जो गृह बलवान हों केवल वही अपनी दशाओं में अच्छे या बुरे फल प्रदान करने में सक्षम होते हैं । बलहीन गृह न तो शुभ फल देने के लिए सक्षम होते हैं न अशुभ । यदि गृह कमजोर हों, अशुभ भाव में स्थित हों या बुद्ध अस्त हो जाएँ ( जो अधिकतर जन्मपत्रियों में होता है ) तो भी शुभ परिणाम प्राप्त नहीं हो पाते । मीन लग्न की जन्मपत्री में किसी भी भाव में बुधादित्य योग नहीं बनता है ।
प्रथम भाव में सूर्य की दशाओं में जातक का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता, व्यापार में बाधाएं आती हैं, बिज़नेस पार्टनर्स से परेशानिया मिलती हैं, काम काज बंद होने के कागार पर आ जाता है । वहीँ बुद्ध अपनी नीच राशि मीन में आ जाते हैं और जातक बुद्ध की दशाओं में घर परिवार, लाइफ पार्टनर, बिज़नेस पार्टनर्स से परेशां रहता है । ऐसे जातक बुद्ध की दशाओं में ओवर इमोशनल भी देखे जा सकते हैं ।
यही युति दुसरे भाव में होने पर भी सूर्य की दशाओं में किसी कुटुंबजन के बीमार होने का योग बनता है , जातक की दायीं आँख में समस्या आ सकती है, टेंशन में इजाफा होता है । बुद्ध अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते हैं । जातक अपनी बुद्धिमानी से मुश्किलों पर विजय पा लेता है । बुद्धादित्य योग इस भाव में भी नहीं बनेगा ।
तृतीय भाव में स्थित सूर्यबुद्ध जातक की मेहनत में वृद्धि कर देते हैं । पिता से अलगाव बढ़ता है, लम्बी दूरी की यात्राओं से लाभ बहुत अल्प मात्रा में प्राप्त होता है । बुधादित्य योग नहीं बनता ।
यदि बुद्ध बलाबल में स्ट्रांग हो और अस्त न हुआ हो तो बुद्ध की दशाओं में मकान, वाहन व् भूमि सम्बन्धी लाभ होते हैं । जातक का माता से किशेष लगाव होता है, राज्य पक्ष से लाभ के योग बनते हैं । वहीँ सूर्य की अपनी दशाओं में घर परिवार सम्बन्धी दुःख प्रदान करते हैं, माता का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता, व्यापार-नौकरी में परेशानियों के करक बनते हैं, राज्य से हानि प्रदान कराने वाले कहे जाते हैं । इस भाव में सूर्यबुद्ध की युति बुद्धादित्य योग नहीं बनाती ।
बुद्ध की दशाओं में प्रेम संबंधों में सफलतादायक होती है । अचानक लाभ की सम्भावना भी रहती है । पुत्री का योग बनता है । वहीँ सूर्य अपनी दशाओं में पुत्र प्राप्ति के योग बनाते हैं । व्यापार में अचानक हानि की सम्भावना रहती है, बुद्धादित्य योग निर्मित नहीं होता ।
त्रिक भाव में बुद्धादित्य योग बनता ही नहीं है । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में धन का व्यय होता है । नौकरी, व्यापार में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं । भाग्य का साथ नहीं मिलता । माता व् लाइफ पार्टनर के स्वास्थ्य में खराबी का योग बनता है, बिज़नेस पार्टनर को घाटा होता है । सूर्य विपरीत राजयोग की स्थिति में शुभ फल प्रदान करते हैं ।
सप्तम भाव में बुद्ध की दशाओं में पार्टनर्स से लाभ के चान्सेस बढ़ जाते है । व्यापार से लाभ होता है, स्वास्थ्य उत्तम रहता है । वहीँ सूर्य की दशाओं में भी सप्तम भाव सम्बन्धी शुभ फलों में कमी आ जाती है, साथ ही जातक का स्वास्थ्य खराब रहने के चान्सेस भी बढ़ते हैं, पत्नी या पति भी बीमार हो सकते हैं । यहाँ भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता ।
आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । सूर्यबुद्ध की दशाओं में व्यापार में हानि के योग बनते हैं । माता को स्वास्थ्य से रिलेटेड समस्या होती है । जातक की बुद्धि उचित निर्णय लेने में सक्षम नहीं होती । यहाँ सूर्य के नीच राशि में आने से विपरीत राजयोग भी नहीं बनता । इस भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता ।
दोनों ग्रहों की दशाओं में विदेश यात्राओं के योग बनते हैं । नौवें भाव में स्थित बुद्ध की दशाओं में यात्राओं से लाभ होता है, भाग्य साथ देता है ।जातक धार्मिक होता है । सूर्य की दशाएं परिश्रम बढ़ने वाली होती हैं, कठिन परिश्रम से भाग्य उन्नत होता है ।
दसवें भाव में स्थित बुद्ध की दशाओं में राज्य से लाभ, माता से संबंधों में मधुरता रहती है, मकान, वाहन, भूमि से लाभ की संभावनाएं प्रबल होती है । जातक बहुत उन्नति करता है । परिवार में शुभ होता है । यहाँ सूर्य अशुभ फल प्रदान करते हैं । सूर्य की दशाओं में राज्य, मकान, वाहन व् भूमि से परेशानियां बढ़ती हैं ।
यहाँ बुद्ध के स्थित होने पर पुत्री प्राप्ति का योग बनता है, नौकरी, व्यापार से लाभ होता है । पंचम व् एकादश, चतुर्थ व् सप्तम भाव से रिलेटेड सभी लाभ प्राप्त होते हैं । प्रेम संबंधों में भी सफलता के योग बनते हैं । बुद्ध की दशाओं में प्रेम विवाह हो सकता है । वहीँ सूर्य की दशाओं में संतान पक्ष से परेशानी, प्रेम संबंधों में असफलता, अचानक हानि होती है और जातक भी कुछ अस्वस्थ रहता है । बड़े भाई बहन से अनबन रहती है, बुद्ध आदित्य योग नहीं बनता ।
त्रिक भावों में से किसी भी भाव में यह योग नहीं बनता । जातक के स्वास्थ्य में परेशानी व् कोर्ट केस सम्बन्धी परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं । सूर्य की दशाओं में भी जातक के अस्वस्थ रहने के योग बनते हैं, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । विपरीत राजयोग की स्थिति में सूर्य शुभ फलदायक होते हैं । बारहवें भाव में स्थित सूर्य विदेश में जॉब करवा सकते हैं ।
ध्यान दें राशियां, दृष्टियां भी ग्रहों व् योगों पर अपना प्रभाव रखती हैं । उन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए । बुद्ध के अस्त होने के चान्सेस बहुत अधिक होते हैं । यदि बुध अस्त अवस्था में हो तो भी यह योग बना हुआ नहीं जानना चाहिए ।
आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।