मिथुन लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – budhaditya yoga consideration in gemini/mithun

मिथुन लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Gemini/Mithun

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  • यदि बुद्ध व् सूर्य योगकारक होकर जन्मपत्री के किसी शुभ भाव में युति बना लें तो इसे बुध आदित्य योग कहा जाता है । मिथुन लग्न की कुंडली में सूर्य तृतीय भाव के स्वामी हैं और अष्टम से अष्टम थ्यूरी के मुताबिक एक अकारक गृह बनते हैं वहीँ बुद्ध प्रथम व् चतुर्थ भाव के स्वामी होने की वजह से एक सम गृह बनते हैं । मिथुन लग्न की कुंडली में सूर्य के अकारक होने की वजह से बुधादित्य योग नहीं बनता है । विभिन्न भावों में सूर्यबुद्ध की युति के परिणाम जानने के लिए आगे पढ़ना जारी रखें ….




    मिथुन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in first house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    मिथुन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बुद्ध हों तो बुद्ध की दशाओं में जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहने के योग बनते हैं, मकान, वाहन, भूमि से लाभ प्राप्त होता है, पार्टनरशिप से भी व्यापार में लाभ के योग बनते है । सूर्य लग्न में हों तो जातक को हर काम में बहुत मेहनत करनी पड़ती है । व्यापार में भी बहुत भाग दौड़ के बाद ही सफलता हाथ होती है । प्रथम भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in second house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    मिथुन लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता है । दुसरे भाव में सूर्य बुद्ध की युति होने पर बुद्ध की महादशा में जातक धार्मिक होता है, रुकावटें बुद्धिमानी से दूर हो जाती हैं, भूमि, मकान, वाहन का सुख प्राप्त होता है । वहीँ सूर्य की दशाओं में भी बाधाएं थोड़े परिश्रम से दूर हो पाती है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in third house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    सूर्यबुद्ध की युति तीसरे घर में होने पर बुद्ध व् सूर्य दोनों की दशाओं में बहुत मेहनत करने के बाद ही भाग्य का साथ प्राप्त होता है । सूर्य की दशाओं में जातक विदेश यात्राएं करता है, पिता से अनबन रहती है । यहाँ बुधादित्य योग नहीं बनता ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in fourth house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    सूर्यबुद्ध की युति यदि चतुर्थ भाव में हो तो बुध की दशाओं में माता का स्वास्थ्य उत्तम रहने के योग बनते हैं और मकान, वाहन व् भूमि का सुख प्राप्त होता है । सूर्य की दशाओं में मकान, वाहन व् भूमि के सुख में कमी रहती है । सुख के साधन बहुत परिश्रम से ही प्राप्त होते है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में पंचम भाव में बुद्धादित्य योग Budhadityai yoga in fifth house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    सूर्य नीच राशि में आ जाते है और संतान प्राप्ति में बाधक होते है या देरी से कन्या संतान होती है, बड़े भाई बहन से क्लेश की स्थिति पैदा करवाते हैं । बुद्ध की दशाओं में पुत्री प्राप्ति का योग बनता है और बड़े भाई बहन से लाभ प्राप्ति के योग बनते हैं । इस प्रकार पंचम भाव में भी बुद्धादित्य योग नहीं बनेगा ।



    मिथुन लग्न की कुंडली में छठे भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in sixth house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    त्रिक भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता । जातक स्वयं, माता या छोटे भाई बहन के स्वास्थ्य खराब रहने का योग बनता है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में सातवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in seventh house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    सप्तम भाव में भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता है । बुद्ध की महादशा में इस योग के लाभ जातक को प्राप्त होते हैं । सूर्य की दशाओं में परिश्रम बहुत बढ़ जाता है । पार्टनर्स के साथ अनबन के चान्सेस बढ़ जाते है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में आठवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eighth house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में नौवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in ninth house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    यहाँ सूर्य की दशाओं में विदेश यात्राएं हो सकती है और उनसे लाभ के योग भी बनते है, जातक पिता का सम्मान करता है । बुद्ध की दशाओं में भी उच्चतर शिक्षा के योग बनते हैं । मेहनत का लाभ अवश्य मिलता है । भाग्य जातक का साथ देता है । जातक विदेश यात्राओं से भी लाभ कमाता है । परन्तु मिथुन लग्न की कुंडली में नौवें भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में दसवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in tenth house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    बुद्ध अपनी नीच राशि मीन में आ जाते है जिस वजह से बुद्ध की दशाएं कष्टप्रद परिणाम लाने वाली होती है । यहाँ बुधादित्य योग नहीं बनता । जातक का स्वास्थ्य खराब रहने व् परिवार से/को कष्ट के योग बनते है । सूर्य के दशाएं भी परिश्रम में वृद्धिकारक ही रहती है परिणाम बहुत अल्प प्राप्त हो पाते है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eleventh house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    यहाँ सूर्य मेहनत से लाभ का योग बनाते है ।परिश्रम का शुभ परिणाम प्राप्त होता है, पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । बुद्ध की दशाओं में जातक बहुत उन्नति करता है, करीब करीब सभी प्रकार के सुख प्राप्त करता है । बुद्धादित्य योग नहीं बनता ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in twelth house in Geminy/Mithun lgna kundli :

    त्रिक भावों में से किसी भी भाव में यह योग नहीं बनता ।

    ध्यान दें की कोई भी योग बनाने वाले ग्रहों का बलाबल अवश्य देख लें । इसके साथ ही राशियां, दृष्टियां भी ग्रहों व् योगों पर अपना प्रभाव रखती हैं । उन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए ।

    आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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