आज की हमारी चर्चा पुष्य नक्षत्र पर केंद्रित होगी । यह आकाशमण्डल में मौजूद आठवाँ नक्षत्र है जो ९३.२० डिग्री से लेकर १०६.४० डिग्री तक गति करता है । पुष्य नक्षत्र को तिष्य और अमरेज्य नाम से भी जाना जाता है । पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव, नक्षत्र देव अदिति देवी और राशि स्वामी बुद्ध तथा चंद्र देव हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
पुष्य नक्षत्र तीन तारों से मिलकर बनता है । इसका प्रतीक चिन्ह गाय का थन माना जाता है । इस नक्षत्र को तिष्य और अमरेज्य नाम से भी जाना जाता है । पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि हैं और यह नक्षत्र ३.२० अंश से १६.४० अंश तक कर्क राशि में गति करता है । इस नक्षत्र के देवता वृहस्पति हैं । इसलिए पुष्य नक्षत्र के जातकों के जीवन पर गुरु, शनि व् चंद्र का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।
नक्षत्र स्वामी : शनि
नक्षत्र देव : वृहस्पति
राशि स्वामी : चंद्र ( चरों चरण )
विंशोत्तरी दशा स्वामी : शनि
चरण अक्षर : हू, हे, हो, ड
वर्ण : क्षत्रीय
गण : देव
योनि : छाग, वैर वानर, बकरा
पक्षी : कौवा
नाड़ी : आदि
तत्व : जल
प्रथम चरण : सूर्य
द्वितीय चरण : बुद्ध
तृतीय चरण : शुक्र
चतुर्थ चरण : मंगल
वृक्ष : पीपल
नाम से ही अनुमान लगाया जा सकता है की पुष्य नक्षत्र का अर्थ होता है पोषण करने वाला । वैदिक ज्योतिष में इस नक्षत्र को बहुत अधिक शुभ माना जाता है । नक्षत्र स्वामी शनि जातक को न्यायप्रिय बनाते हैं । जब इस नक्षत्र के जातक दूसरों का कोई कार्य अपने हाथ में लेते हैं तो उसे कभी अधूरा नहीं छोड़ते, पूरा करके ही दम लेते हैं । राशि स्वामी चन्द्रमा जातक को भावुक प्रवृत्ति का और आकर्षक बनाते हैं । कभी कभी इनके प्रोफेशन में वैविध्य देखने में आता है । यहाँ भी ख़ास बात ये है की ये अन्य कामों को भी उतनी ही दक्षता से करते हैं । यह बहुत पवित्र नक्षत्र होता है । इसलिए इस नक्षत्र के जातक को षड्यंत्रों का शिकार भी होना पड़ता है । ध्यान देने योग्य है की कोई भी तांत्रिक जो ब्लैक मजिक जानता हो कभी इनसे नहीं उलझता । इसका मुख्य कारण ये है इस नक्षत्र की पवित्रता । पुष्य नक्षत्र के जातक पर यदि काली विद्या का प्रयोग किया जाए तो इन जातकों पर इसका असर नहीं होता, उल्टा करने वाले को इसके कई गुना विपरीत परिणाम भुगतने पड़ते हैं ।
इस नक्षत्र के जातक का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं कहा जा सकता है । अक्सर देखने में आता है की इस नक्षत्र में जन्मे जातक का पत्नी व् परिवार से दूर रहते हैं । परन्तु ये परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी से कभी मुँह नहीं मोड़ते, पूरी तरह इसका निर्वहन करते हैं ।
इस नक्षत्र के जातक हों या जातिका अत्याधिक इमोशन होने की वजह से जल्दी भावुक हो जाते हैं, कभी कभी डिप्रेशन में भी चले जाते हैं । ऐसी जातिकाएँ घर का मैनेजमेंट बहुत अच्छी तरह से संभालती हैं और इसमें किसी किस्म की दखलंदाज़ी से अपने को परेशान अनुभव करती हैं ।
पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वास्थ्य अधिकतर बहुत अच्छा रहता है । ऐसा जातक जातक निरोगी व स्वस्थ होता है । कभी कभार तीव्र बुखार से परेशानी होती है । यदि कुशा की जड़ भुजा में बाँध लें अथवा पुष्प नक्षत्र में दान पुण्य करे तो लाभ होता है ।
अभी तक आप जान ही चुके हैं की पुष्य नक्षत्र के चारों चरण कर्क राशि में आते हैं । चन्द्रमा से प्रभावित होने की वजह से ऐसे जातक भावनात्मक/कलात्मक अभिव्यक्ति से जुड़े प्रोफेशन में बहुत अच्छा परफॉर्म करते हैं । ये बहुत अच्छे एक्टर ,डांसर, थिएटर आर्टिस्ट हो सकते हैं । जैसे जल अपने को किसी भी शेप में ढाल लेता है ऐसे ही ये जातक एकाउंटेंट्स, बिजनेसमैन अथवा अर्थशाष्त्री भी हो सकते हैं और कुछ अन्य कार्यक्षेत्रों में बेहतर काम कर सकते हैं ।
पोषण से सम्बंधित कार्यों में भी इन जातकों को सफलता प्राप्त होती है, जैसे दूध से संबंधित व्यापार, कैटरिंग, होटल इंडस्ट्री आदि ।
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