प्रचलित मान्यता के अनुसार यदि परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुयी हो, घर में बड़े बुजुर्गों का अपमान किया गया हो, माता पिता की मृत्यु पर्यन्त उचित ढंग से क्रियाकर्म और श्राद्ध न किया गया हो अथवा वार्षिक श्राद्ध न करने से पितरों का दोष लगता है । इसके साथ ही कुछ विद्वानों का ऐसा भी मत है की जिस प्रकार आने वाली पीढ़ियां अपने पूर्वजों द्वारा कमाए धन या प्रॉपर्टी का लाभ उठाती हैं उसी प्रकार उन्हें अपने बुजुर्गों के द्वारा किये गए पापों का भी भुक्तान करना पड़ता है । जिसके फलस्वरूप आने वाली पीढ़ियां कष्ट भोगती हैं । इन कष्टों से बाहर आने के लिए उन्हें शुभ कर्मों का सहारा लेना पड़ता है । इन शुभ कर्मों से पितरों के पापों का भुक्तान होता है और उन्हें राहत मिलती है । जिसके फलस्वरूप वो अपने बच्चों को आशीर्वाद प्रदान करते है । इसके फलस्वरूप घर में सुख शांति आती है व् परिवार में बरकत होती है ।
इसके फलस्वरूप परिवार में सुख शांति का अभाव रहना, संतान न होना, आकस्मिक बीमारियां आते रहना, धन में बरकत न होना, घर में सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं होते हुए भी मन खिन्न रहना, परिवार में मन मुटाव रहना आदि पितृदोष का कारण हो सकता है । इस दोष से पीड़ित जातक के हर काम में रुकावटें आती हैं । उसे बहुत संघर्ष करना पड़ता है । कड़ी मेहमनत व् संघर्ष के बाद भी सफलता हाथ नहीं आती । दुर्भाग्य जातक का साथ नहीं छोड़ता है । बिना पितृ दोष के उपाय के जातक की परेशानियां कम होने का नाम नहीं लेती ।
लग्न कुंडली के पंचम या नवम भाव में राहु होने पर इसे पितृ दोष कहा जाता है । इसके साथ ही लग्न कुंडली में यदि सूर्य, चंद्र, गुरु,शुक्र अथवा शनि के साथ राहु स्थित हो तो पितृ दोष का निर्माण हो जाता है ।
पितृ दोष से मुक्त होने के लिए पिंड दान सबसे बेहतर उपाय है । यदि गया जाकर पिंड दान किया जाय तो इस दोष से मुक्ति मिल जाती है । अन्यथा प्रत्येक अमावस्या को किसी योग्य ब्राह्मण को पूरी, सब्जी, खीर युक्त भोजन करवाएं । सफ़ेद वस्त्र दान करके उचित दक्षिणा दें । इसके पश्चात् भोजन व् दक्षिणा ग्रहण करने के लिए ब्राह्मण देवता को धन्यवाद दें और पाऊँ छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें । ऐसा करने से पितृ दोष का निवारण तो नहीं होगा परन्तु पितृ दोष शांत अवश्य हो जाएगा । ऐसा जातक को हर माह आने वाली अमास्या को करना होगा । इसके साथ साथ यदि जातक अधिक से अधिक शुभ कर्म करे, बुजुर्गों का सम्मान करे, उनकी सेवा करे और अधिक से अधिक शुभ कर्मों में संलिप्त हो तो जातक को उसके बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त होगा । जातक के बच्चे भी उसका सम्मान करेंगे । ऐसे जातक को पितरों का भी स्नेहशीर्वाद प्राप्त होगा और आने वाली पीढ़ी में किसी की भी कुंडली में पितृ दोष नहीं बनेगा । कोई ऐसे कर्म न करें जिनसे सूर्य,चंद्र, गुरु, शुक्र अथवा शनि गृह पर प्रतिकूल असर पड़ता हो । अंत में आदिनाथ शिव से आप सभी के मंगल की प्रार्थना करता हूँ । भोलेनाथ सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान करें ।