कुंडली का छठा भाव (chatha bhav ) sixth house in jyotish

कुंडली का छठा भाव (Chatha Bhav ) Sixth House in Jyotish

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  • ज्योतिष विशेष
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  • कुंडली का छठा भाव त्रिक भाव है । यह ऋण, रोग, शत्रु से होने वाले कष्टों को दर्शाता है । मनुष्य शरीर में इस भाव से उदर ( पेट ) या उदर जनित रोगों का विचार किया जाता है । आयुर्वेद में पेट को सभी रोगो का जनक माना गया है । पहला भाव असेंडेंट का तो छठा भाव शत्रु या पेट का । इस प्रकार मनुष्य का सबसे पहला और नजदीकी शत्रु पेट को ही जाना जाता है । यदि पेट ठीक रहता है तो अन्य रोग पास भी नहीं फटकते । लग्न कंडली के जिस भाव के स्वामी का सम्बन्ध छठे भाव या भावेश से बनता है उस भाव के फलों में अधिकांशतः अशुभता आती देखि गयी है । यदि छठे भाव का स्वामी पीड़ित अवस्था में हो तो जातक के बीमारियों से घिरे रहने की संभावना बनती है । छठे भाव से जातक के शत्रु और उनसे होने वाली परेशानियों का भी विचार किया जाता है । ननिहाल या माता के घर की जानकारी भी इसी भाव से प्राप्त की जाती है । ज्योतिषीय नियमो के अनुसार यदि छठे घर में पाप गृह निवास करे तो शुभ फल प्रदान करता है । यदि इस भाव में शुभ गृह तो इस भाव के अशुभ फलों में कमी आ जाती है । ऋण रोग शत्रु से होने वाली हानि का विचार इस भाव से किया जाता है । कोर्ट कचहरी, प्रतियोगी परीक्षा, चुनाव में जीत हार की जानकारी इसी भाव से प्राप्त की जाती है ।




    छठे भाव से जुड़े अन्य पक्ष Other aspects related to sixth house :

    छठा भाव लग्न कुंडली के तीसरे भाव से चौथा होता है इसलिए छोटे भाई के सुख संपत्ति का विचार इस भाव से किया जाता है । वहीँ छोटे भाई बहन के साथ मुकदद्मेबाजी या शत्रुता को भी इस भाव से जांचा जाता है । यह भाव असेंडेंट का ननिहाल भी माना जाता है सो मामा भांजा के संबंधों की संबंधों की जानकारी भी इसी भाव से प्राप्त की जाती है । लग्नेश षष्ठेश के सम्बन्ध से इस रिश्ते की मधुरता का अनुमान प्राप्त किया जा सकता है । पंचम से द्वितीय होता है तो संतान के धन की जानकारी प्रदान करता है । सप्तम से द्वादश है सो सप्तम के शुभ फलों में कमी लाता है । कभी कभी तो तलाक की स्थिति उत्त्पन्न हो जाती है । साझेदारों से अलगाव या हानि व् साझेदारों का विदेश में रूतबा व् सप्तमेश का व्यय इस भाव से जांचा जाता है । पिता की प्रतिष्ठा व तरक्की और पिता के राजकीय सम्मान की जानकारी इस भाव से देखि जाती है ।



    क्रूर या पापी ग्रहों मंगल, शनि, राहु के छठे भावस्थ होने पर शत्रु असेंडेंट पर हावी नहीं हो पाते हैं । कठोर परिश्रम का घर होने की वजह से यहां पर क्रूर गृह अधिक शुभ फल प्रदान करते हैं । शुभ गृह के छठे भाव में स्थित होने को शुभ नहीं कहा गया है ।

    असेंडेंट के घर में यदि छठे भाव की जांच करनी हो तो अनाज रखने का स्टोर, गौशाला या अन्य जानवरों के रहने का स्थान, नौकरों के रहने-सोने के कमरे का विचार करना चाहिए ।

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