तुला लग्न की कुंडली में मंगल  – tula lagn kundali me mangal (mars)

तुला लग्न की कुंडली में मंगल – Tula Lagn Kundali me Mangal (Mars)

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  • ज्योतिष विशेष, लग्न विचार
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  • भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मंगल देवताओं के सेनापति कहे जाते हैं । स्वभाव से क्रूर देव गृह मंगल मेष और वृश्चिक राशि केस्वामी हैं जो कर्क में नीच व् मकर राशि में उच्च के माने जाते हैं । तुला लग्न की कुंडली में मंगल द्वितीयेश , सप्तमेश होकर एक मारक गृह के रूप में मान्य हैं । इस लग्न कुंडली के जातक को किसी भी सूरत में मंगल रत्न मूंगा धारण नहीं करना चाहिए। आपको बताते चलें की जन्मपत्री के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है , दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्रसाधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है आदि । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हम तुला लग्न कुंडली के १२ भावों में मंगल देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे …




    तुला लग्न – प्रथम भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal pratham bhav me

    यदि लग्न में मंगल हो तो जातक को धन , कुटुंब का साथ मिलता है । मंगल की महादशा में स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है । माता को कष्ट का योग बनता है ।दाम्पत्यजीवन के लिए मंगल शुभता प्रदान करते है और साझेदारी के काम से लाभ का योग बनता है ।

    तुला लग्न – द्वितीय भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal dwitiya bhav me :

    ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का साथ मिलता है । जातक के परिवार में धन का आगमन होता रहता है । वाणी उग्र होती है । मंगल की महादशा में हर काममें जगह जातक को परेशानी झेलनी पड़ती है , पुत्र प्राप्ति का योग बनाता है ।

    तुला लग्न – तृतीय भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal tritiy bhav me :

    जातक बहुत परश्रमी , पराक्रमी होता है । बहुत परिश्रम के बाद भी जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता है ।। छोटे भाई का योग बनता है । पिता से सम्बन्ध उत्तमनहीं रहते हैं । विदेश यात्रा में रुकावट आती है । रोग , ऋण , शत्रु , कोर्ट केस से दिक्कत मिलती है । प्रोफेशन की स्थिति डावांडोल रहती है ।

    तुला लग्न – चतुर्थ भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal chaturth bhav me :

    मंगल की महदशा में चतुर्थ भाव में मंगल होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख प्राप्त नहीं होता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में नहीं होताहै । विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है । दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है , दैनिक आय में उन्नति आती है । प्रोफेशन की स्थिति डावांडोल रहती है । बड़े भाइयोंबहनो से संबंध बहुत अच्छे नहीं रहते हैं । छाती में कोई रोग होने की संभावना रहती है ।

    तुला लग्न – पंचम भाव में मंगल – Libra Lagna – Mars pancham bhav me :

    प्रेम विवाह का योग बनता है । अचानक हानि की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे नहीं रहते हैं , लाभ में कमी का योग बनता है । स्वास्थ्यउत्तम नहीं रहता है , पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । पेट में कोई बीमारी होने का योग भी बनता है जो मंगल की महादशा में बानी ही रहती है । यदि राहु शुभ हों तो राहुकी महादशा में पेट सम्बन्धी बीमारी ठीक हो जाती है ।

    तुला लग्न – षष्टम भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal shashtm bhav me :

    जातक को परिवार का साथ नहीं मिलता है , धन की कमी खलती रहती है और जातक के वैवाहिक जीवन में क्लेश होता है । पति/पत्नी बीमार रहते हैं । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । पार्टनरशिप व् दैनिक आय के मामले में परेशानी उठाता है । प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद भीविजयश्री हाथ आती है । मंगल की महदशा में कोई न कोई टेंशन बनी रहती है । कुटुंबजनों , पत्नी को/से समस्याएँ आती हैं । हॉस्पिटल में खर्चा होता है । मंगल कीमहदशा में जातक को कोई न कोई टेंशन बनी रहती है ।



    तुला लग्न – सप्तम भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal saptam bhav me :

    जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। पति / पत्नी थोड़ा झगड़ालू प्रवृत्ति के हो सकती है । व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योग बनता है।प्रोफेशन उत्तम स्थिति में नहीं रहता है , जातक बहुत कड़वा बोलने लगता है , एग्रेसिव व्यक्तित्व का हो जाता है ।

    तुला लग्न – अष्टम भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal ashtam bhav me :

    यहां मंगल के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । मंगल की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । लाभ में कमीआती है , कुटुंब का साथ नहीं मिलता है , धन की हानि होती है । जातक की मैरिज देरी से होती है । लाइफ पार्टनर , छोटे भाई बहन को/से परेशानियां झेलनी पड़सकती हैं ।

    तुला लग्न – नवम भाव में मंगल – Libra Lagna – Mars navam bhav me :

    जातक आस्तिक व् पितृ भक्त नहीं होता है । पिता को प्रोब्लेम्स आती हैं । विदेश यात्रा करता है । छोटे भाई बहनो का साथ कम ही मिलता है । फिजूल व्यय होता है। जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का सुख प्राप्त नहीं होता है । मन अशांत रहता है । जातक बात बात में चिढ़ने लगता है , इर्रिटेटिंग व्यक्तित्व वाला होजाता है ।

    तुला लग्न – दशम भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal dasham bhav me :

    जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख नहीं मिलता है । प्रोफेशनल लाइफ अच्छी नहीं होती है । काम काज में प्रोब्लेम्स आती ही रहती है । पुत्रप्राप्ति में परेशानी रहती है । जातक बहुत क्रोधित रहता है । कोई ना कोई हानि जरूर होती है क्यूंकि यहाँ मंगल नीच राशि में होते हैं ।

    तुला लग्न – एकादश भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal ekaadash bhav me :

    यहां स्थित होने पर विवाह के पश्चात जातक के लाभ में वृद्धि होती है । हालांकि पत्नी को कोई न कोई बीमारी अवश्य होती है । परिवार में धन का आगमन होता हैतो जातक का मान घर में बना रहता है । बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर नहीं रहते है । पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है । पुत्र प्राप्ति का योगबनता है । बुद्धि , जुबान थोड़ी अग्रेसिव हो जाती है । मुश्किलें दूर होने का नाम नहीं लेती ।

    तुला लग्न – द्वादश भाव में मंगल – Tula Lagan – Mangal dwadash bhav me :

    जातक की पत्नी , परिवार से नहीं निभेगी । धन का अभाव रहता है , साझेदारी के व्यापार में घाटा होता है । मंगल की महादशा में जातक को पैसे की किल्लत बहुतसताती है । मेहनत के परिणाम नहीं मिलते हैं । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । मंगल की महदशा मेंव्यर्थ का खर्च बना रहता है । दाम्पत्य जीवन कलह से भरता है व् दैनिक आय में कमी आती है ।

    कृपया ध्यान दें ….मंगल के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । किसी भी सूरत में मूंगा रत्न धारण न करें। छोटे भाई को सुख देने से मंगलके शुभ प्रभाव में बढ़ौतरी होती है । मंगलवार का व्रत रखें । भूल कर भी किसी की प्रॉपर्टी पर कब्जा न करें , मुफ्त में जमीन न लें (गिफ्ट भी नहीं ), हनुमान जी कीउपासना करें । कुंडली का उचित विश्लेषण करवाने के उपरान्त ही किसी उपाय को अपनाएँ ।

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