भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव बुद्धि , लेखन , व्यापार के कारक कहे जाते हैं । लग्न में बुद्ध को दिशा बल प्राप्त है । बुध कन्या राशि मेंउच्च और मीन राशि में नीच के होते हैं । स्वराशि होने पर भद्र नामक पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है । सिंह लग्न की कुंडली में बुद्ध द्वितीयेश , एकादशेश होकर एक कारक गृह होते हैं । यदि बुध 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10, 11 भाव में स्थित हों तो बुध रत्न पन्ना धारण किया जा सकता है । आपको बताते चलें की जन्मपत्री के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है , दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है आदि । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हमसिंह लग्न कुंडली के 12 भावों में बुध देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे
यदि लग्न में बुध हो तो जातक बुद्धिमान होता है । बुद्ध की महादशा में साझेदारी के काम से लाभ प्राप्ति का योग बनता है । वैवाहिक जीवन सुखी रहता है । दैनिकआय में उन्नति होती है , धन की कमी नहीं होती ।
ऐसे जातक को धन, परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है । वाणी बहुत अच्छी होती है । बुध की महदशा में रुकावटों पर आसानी से विजय पा लेता है । धन कीकमी नहीं होती ।
जातक बहुत परश्रमी होता है । बहुत परिश्रम के बाद ही जातक को लाभ मिलता है । छोटे बहन का योग बनता है । पिता से मतभेद रहते हैं । छोटे भाई बहन काध्यान रखता है।
बुध की महदशा में चतुर्थ भाव में बुध होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख प्राप्त होता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है । विदेशसेटलमेंट की सम्भावना बनती है । जातक माता का बहुत सम्मान करता है ।
बुद्धि बहुत तेज होती है, अचानक लाभ की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे रहते हैं, लाभ प्राप्ति का योग बनता है । स्वास्थ्य उत्तम रहता है, पुत्री प्राप्ति का योग बनता है । जातक के कुटुंब में धन धान्य का आवागमन लगा रहता है ।
कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद विजयश्री हाथ आती है । बुध की महदशा में कोई न कोईटेंशन बनी रहती है । कोई परिवारजन बीमार होता है ।
जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। पति / पत्नी समझदार होता है । विवाह के पश्चात धन लाभ में वृद्धि होती है । व्यवसाय व् साझेदारों से लाभप्राप्ति का योग बनता है।
यहां बुध के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । सूर्य की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । बुद्धि साथ नहीं देती है । बड़े भाई बहन और कुटुंब का साथ नहीं मिलता है ।
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है । विदेश यात्रा करता है । छोटे भाई बहनो का साथ मिलता है । बुध की महादशा में पिता व् कुटुंब को लाभ मिलता है ।
जातक को भूमि, मकान, वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है । प्रोफेशनल लाइफ अच्छी होती है, सरकारी नौकरी का योग बनता है। काम काज बहुत अच्छा चलता है । बुद्धि से रिलेटेड काम ( व्यापार, वकालत, चार्टेड एकाउंटेंसी ) में लाभ होता है ।
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर रहते है, लाभ मिलता है । पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है । पुत्री प्राप्ति का योग बनता है ।छोटी बीमारी होती है, कुछ दिनों में ठीक हो जाती है ।
मन परेशान रहता है । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । सूर्य की महदशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है । बड़े भाई बहन व् कुटुंब को परेशानी होती है ।
कृपया ध्यान दें ….बुध के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । बुध के 3, 6, 8, 12 भाव में स्थित होने पर किसी भी सूरत में पन्ना रत्न धारण नकरें । बुध वार का व्रत रखें , वाटर एक्सूरियम घर में लगाएं , अमरुद का पेड़ लगाएं और सुरक्षित बड़ा करें जिससे की उसका लाभ चीटियों, पशु पक्षियों व् बच्चों को मिले । घर में तुलसी का पौधा लगाएं और रोजाना प्रातः काल में काली पेट सेवन करें , हॉस्पिटल में हरी सब्जी दान करने से भी स्थिति में सुधार होता है । किसी योग्य ज्योतिषी से कुंडली का उचित विश्लेषण आवश्य करवाएं ।