भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं में शुक्र देवता को दैत्य गुरु की उपाधि प्राप्त है । शुक्र देव कला, सौंदर्य, प्रेम, शैया सुख, वीर्य या जिन तत्वोंसे साधारण जन को ज़िंदगी ज़िंदगी सी प्रतीत होती है के कारक कहे गए हैं । जीवन में ग्लैमर के कारक हैं शुक्र देवता जैसे : गाड़ियों में जैगवार है शुक्र, घड़ियों मेंरोलेक्स, जूतों में एडिडास है शुक्र । लग्न कुंडली के चौथे भाव में शुक्र को दिशा बल प्राप्त है । कन्या राशि शुक्र की नीच और मीन उच्च राशि है । तुला लग्न की कुंडली में शुक्र लग्नेश, अष्टमेश होकर एक कारक गृह होते हैं । यदि शुक्र 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10, 11 भाव में कहीं स्थित हों तो शुक्र रत्न हीरा धारण किया जा सकता है। आपको बताते चलें की जन्मपत्री के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है , दान से ग्रह काप्रभाव कम करना है, कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है आदि । मंत्रसाधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हम तुला लग्न कुंडली के १२ भावों में शुक्र देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे …
यदि लग्न में शुक्र हो तो जातक बहुत आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है । शुक्र की महादशा में साझेदारी के काम से हानि का योग बनता है । वैवाहिक जीवनसुखी नहीं रहता है । दैनिक आय में लाभ का योग बनता है । जातक का जीवन साथी बहुत आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है ।
ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है । वाणी बहुत मधुर होती है। शुक्र की महदशा में रुकावटें आसानी से दूर हो जाती हैं । विदेश यात्रा कायोग बनता है ।
जातक बहुत परश्रमी होता है । बहुत परिश्रम के बाद ही जातक को लाभ मिलता है । छोटे बहन का योग बनता है । जातक धर्म को मानता है , पिता से सम्बन्धअच्छे नहीं रहते हैं । छोटे भाई बहन का ध्यान रखता है। विदेश यात्रा का योग बनता है ।
शुक्र की महदशा में चतुर्थ भाव में शुक्र होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख प्राप्त होता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है । विदेशसेटलमेंट की सम्भावना बनती है । जातक माता का बहुत सम्मान करता है । दिशाबलि शुक्र जातक को सभी सुख प्रदान करते हैं ।
बुद्धि बहुत तेज होती है , अचानक लाभ की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे रहते हैं , लाभ प्राप्ति का योग बनता है । स्वास्थ्य उत्तम रहता है, पुत्री प्राप्ति का योग बनता है । जातक भाग्यवान होता है , उच्च शिक्षा ग्रहण करता है । प्रेमसंबंधों में सफलता प्राप्त होती है ।
यहां उच्च के होने से सभी नकारात्मक तत्वों में बढ़ौतरी होती है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रतियोगिता में बहुत मेहनतके बाद विजयश्री हाथ आती है । शुक्र की महदशा में कोई न कोई टेंशन बनी रहती है , फ़िज़ूल का व्यय होता है। लग्नेश के छठे भाव में स्थित होने पर विपरीतराजयोग की स्थिति नहीं बनती है ।
कारक भाव में आने से जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। पति / पत्नी समझदार व् आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक होता है । व्यवसाय व् साझेदारोंसे लाभ प्राप्ति का योग बनता है। दैनिक आय में दिन बदिन बढ़ौतरी होती है । धन की कमी नहीं रहती है ।
यहां शुक्र के अष्टम भाव में उच्च के स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । शुक्र की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । प्रोफेशनललाइफ में परेशानियां आती हैं । छोटे भाई बहन और कुटुंब का साथ नहीं मिलता है । जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो सकती है ।
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है । विदेश यात्रा करता है । छोटे भाई बहनो का साथ मिलता है । शुक्र की महादशा में पिता को/से लाभ मिलता है । उच्चतमशिक्षा प्राप्त करता है ।
जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है । प्रोफेशनल लाइफ अच्छी होती है । काम काज बहुत अच्छा चलता है । ग्लैमर वर्ल्ड से जुड़े काम ( एक्टिंग , सिंगिंग , फिल्म मेकिंग ) आदि में लाभ होता है ।
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर रहते है , लाभ मिलता है । पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है । पुत्री प्राप्ति का योग बनता है ।छोटी बीमारी होती है , कुछ दिनों में ठीक हो जाती है । सभी इच्छाओं की पूर्ती होती है ।
यहां शुक्र दिग्बली होते हैं लेकिन नीच के होने पर कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । शुक्र की महदशा में व्यर्थ का खर्च बनारहता है । विदेश सेटेलमेंट का योग बनता है ।
कृपया ध्यान दें ….शुक्र के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । यदि अस्त ना हो तो शुक्र के 2, 3, 6, 8, 12 भाव में स्थित होने पर किसी भी सूरत में हीरा रत्न धारण न करें । पत्नी का सम्मान करें , शुक्र वार का व्रत रखें , परफ्यूम , सफ़ेद वस्त्र उपहार में दें , शुक्रवार को सूखा नारियल काटकर उसमे चीनीभरिये और मिटटी में दबा दीजिये । शुद्ध भावना के साथ ये उपाय करने पर निसंदेह आपको शुक्र का आशीर्वाद प्राप्त होगा और शुक्र के अशुभ फलों में कमी आएगी।