सिंह लग्न की कुंडली में सूर्य  – singh lagn kundali me surya (sun)

सिंह लग्न की कुंडली में सूर्य – Singh Lagn Kundali me Surya (Sun)

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  • ज्योतिष विशेष, लग्न विचार
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  • भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा , हड्डियों , दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव सिंह लग्न की कुंडली में एक कारक गृह होते हैं । सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला में नीच के माने जाते हैं । यदि सूर्य 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10, 11 भाव में स्थित हों तो सूर्य रत्नमाणिक धारण किया जा सकता है । आपको बताते चलें की जन्मपत्री के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न सेबलवान करना है , दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करकेरक्षा प्राप्त करनी है आदि । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हम सिंह लग्न कुंडली के 12 भावों में सूर्य देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने काप्रयास करेंगे …




    सिंह लग्न – प्रथम भाव में सूर्य – Singh Lagan – Surya pratham bhav me :

    यदि लग्न में सूर्य हो तो जातक ऊर्जावान होता है । सूर्य की महादशा में स्वास्थ्य अच्छा रहता है । यदि बलवान हो तो जातक थोड़ा गर्म मिजाज़, गर्वीला हो सकता है। सूर्य की महादशा में साझेदारी के काम से लाभ प्राप्ति का योग बनता है । वैवाहिक जीवन सुखी रहता है ।

    सिंह लग्न – द्वितीय भाव में सूर्य – Singh Lagan – Surya dwitiya bhav me :

    ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है । वाणी उग्र होती है । सूर्य की महदशा में रुकावटों पर आसानी से विजय पा लेता है ।

    सिंह लग्न – तृतीय भाव में सूर्य – Simha Lagan – Soorya tritiy bhav me :

    तुला सूर्य देव की नीच राशि है । अतः जातक बहुत परश्रमी होता है । बहुत परिश्रम के बाद भी जातक का भाग्य उसका साथ कम ही देता है ।। छोटे भाई का योगबनता है । धर्म को नहीं मानता है। पिता से मतभेद रहते हैं । छोटे भाई बहन से नहीं बनती है ।

    सिंह लग्न – चतुर्थ भाव में सूर्य – Leo Lagan – Soorya chaturth bhav me :

    सूर्य की महदशा में चतुर्थ भाव में सूर्य होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सिख प्राप्त होता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है । विदेशसेटलमेंट की सम्भावना बनती है । जातक थोड़ा उग्र बात करने वाला हो सकता है , माता का बहुत सम्मान करता है । वृश्चिक राशि में आने पर जातक को माणिकरत्न धारण करना चाहिए ।

    सिंह लग्न – पंचम भाव में सूर्य – Singh Lagan – Surya pncham bhav me :

    अचानक लाभ की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे रहते हैं , लाभ प्राप्ति का योग बनता है । स्वास्थ्य उत्तम रहता है , पुत्र प्राप्ति का योगबनता है ।

    सिंह लग्न – षष्टम भाव में सूर्य – Leo Lagan – Surya shashtm bhav me :

    कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद विजयश्री हाथ आती है । सूर्य की महदशा में कोई न कोईटेंशन बानी रहती है ।



    सिंह लग्न – सप्तम भाव में सूर्य – Singh Lagan – Soorya saptam bhav me :

    जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। पति / पत्नी घमंडी और थोड़ा झगड़ालू प्रवृत्ति के हो सकती है । व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योगबनता है।

    सिंह लग्न – अष्टम भाव में सूर्य – Singh Lagan – Soorya ashtam bhav me :

    यहां सूर्य के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । सूर्य की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । बुद्धि साथ नहीं देतीहै ।

    सिंह लग्न – नवम भाव में सूर्य – Leo Lagan – Soorya navam bhav me :

    जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है । विदेश यात्रा करता है । छोटे भाई बहनो का साथ मिलता है ।

    सिंह लग्न – दशम भाव में सूर्य – Singh Lagan – Surya dasham bhav me :

    जातक को भूमि, मकान, वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है । प्रोफेशनल लाइफ अच्छी होती है , सरकारी नौकरी का योग बनता है। काम काज बहुत अच्छाचलता है ।

    सिंह लग्न – एकादश भाव में सूर्य – Simha Lagan – Surya ekaadash bhav me :

    यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर रहते है, लाभ मिलता है । पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है ।बुद्धि थोड़ी अग्रेसिव हो जाती है ।

    सिंह लग्न – द्वादश भाव में सूर्य – Simha Lagan – Surya dwadash bhav me :

    मन परेशान रहता है । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । सूर्य की महदशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है ।

    कृपया ध्यान दें ….सूर्य के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । सूर्य के 3, 6, 8, 12 भाव में स्थित होने पर किसी भी सूरत में माणिक रत्न धारणन करें । कुंडली का उचित विश्लेषण करवाने के उपरान्त ही किसी उपाय को अपनाएँ ।

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