वृष लग्न की कुंडली में मंगल – vrish lagn kundali me mangal (mars)

वृष लग्न की कुंडली में मंगल – Vrish Lagn Kundali me Mangal (Mars)

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  • आज हम वृष लग्न की कुंडली के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में मंगल कैसे फल प्रदान करते हैं । यहांमंगल सप्तमेश , द्वादशेश होने से एक मारक गृह हैं । मंगल की 4, 7, 8 वीं दृष्टि होती है और कर्क राशि मंगल की नीच राशि व् मकर उच्च मानी जाती है। वृष लग्न कुंडली में अगर मंगल बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर स्थित हो तो समस्त कुंडली में अधिकतर फल अशुभ ही प्राप्त होते हैं । यहां बताते चलें कीकुंडली के 6, 8, 12 भावों में जाने से योगकारक गृह भी अपना शुभत्व खो देते हैं और खराब परिणाम देने के लिए बाध्य हो जाते हैं । केवल विपरीत राज योग की कंडीशन में हो 6, 8, 12 भावों में पड़े गृह शुभ फल प्रदान करने की स्थिति में आते हैं । मंगल भी 6, 8, 12 भाव में कहीं स्थित हों तो शुभ परिणाम कारक हैं यदिलग्नेश शुक्र बलवान होकर शुभ स्थित हों । वृष लग्न की कुंडली के जातक को किसी भी सूरत में मंगल रत्न मूंगा धारण नहीं करना चाहिए । ध्यान दें की कारक ग्रहका बलाबल में सुदृढ़ होना और शुभ स्थित होना उत्तम जानना चाहिए और मारक गृह का बलाबल में कमजोर होना उत्तम जानें । कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है, दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है, कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करनाहै या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आइये वृष लग्न कुंडली के 12 भावों में मंगल देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करते हैं :




    वृष लग्न – प्रथम भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal pratham bhav me

    वृष लग्न की कुंडली में मंगल यदि लग्न में ही विराजमान हो जाएँ तो जातक हर काम में जल्दबाजी करने वाला होता है , माता व् सुख साधनो में कमी आती है , हरशुभ काम में देरी होती है , पत्नी – पार्टनर से लाभ मिलता है । मंगल की महादशा में टेंशन बानी ही रहती है । जातक के विदेश सैटलमेंट के योग बनते हैं ।

    वृष लग्न – द्वितीय भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal dweetiya bhav me :

    धन , कुटुंब , परिवार या कह लीजिये सराउंडिंग्स लिए बहुत अच्छा नहीं होता , वाणी बहुत खराब होती है। यदि मंगल अच्छी डिग्री में हो तो ऐसे जातक के परिवार मेंआने के बाद से घर की समस्याओं में बढ़ौतरी होती है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है , पेट खराब , संकल्प शक्ति क्षीण , मन अशांत रहता है । हर काम में रुकावटआती है । जातक धर्म को नहीं मानता , पिता से संबंध में खटास आती है , विदेश यात्रा का योग बनता है ।

    वृष लग्न – तृतीय भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mars treetiya bhav me :

    यद्यपि तीसरा घर मंगल का कारक भाव होता है परन्तु यहां कर्क राशि में आने से मंगल नीच के हो जाते हैं और अधिकतर अशुभ परिणाम ही देते हैं । मेहनत के उचितपरिणाम नहीं मिलते हैं । जातक धर्म को नहीं मानता , पिता से संबंध में खटास आती है , विदेश यात्रा का योग बनता है , प्रोफेशनल लाइफ में बहुत समस्याओं कासामना करना पड़ता है ।

    वृष लग्न – चतुर्थ भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal chaturth bhav me :

    यहाँ सीने में कोई रोग उत्पन्न हो सकता है । प्रॉपर्टी लेने में , सुख सुविधाओं के साधन जुटाने में प्रॉब्लम आती है , माता से मन मुटाव रहता है । पत्नी का साथमिलता है , पार्टनरशिप से लाभ की संभावना रहती है , काम काज में समस्याएं , बड़े भाई बहन का साथ ना मिलना व् इनसे परेशानी मिलती है ।

    वृष लग्न – पंचम भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mars pancham bhav me :

    पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । पेट खराब , मन खिन्न रहता है , आकस्मिक धन हानि होती है , हर काम में रुकावट आती है , टेंशन – डिप्रेशन बना रहता है , बड़े भाईबहन से प्रॉब्लम रहती है , फिजूल खर्च होता है ।



    वृष लग्न – शष्टम भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal shashtam bhav me :

    स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्याएं बानी रहती हैं , लड़ाई झगडे लगे रहते हैं , कोर्ट कैसे से संबधित समस्याएं लगी रहती हैं । पिता से मन मुटाव लगा रहता है और धनहानिकी संभावना बनी रहती है । विदेश यात्रा का योग बनता है ।

    वृष लग्न – सप्तम भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal saptm bhav me

    जातक पत्नी व् अन्य साझेदारों से शुभ फल प्राप्त करने वाला होता है । प्रोफेशनल लाइफ पर बुरा असर पड़ता है , मन अशांत रहता है , वाणी खराब हो जाती है , परिवार का साथ नहीं मिलता है ।

    वृष लग्न – अष्टम भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal ashtm bhav me :

    परेशानियां लगातार बनी रहती हैं , परिश्रम के उचित परिणाम नहीं मिलते हैं , लाभ में कमी आती है , वाणी खराब हो जाती है , पत्नी बीमार रहती है , परिवार से नहींबनती ऐसे जातक को परिश्रम केअनुकूल परिणाम नहीं प्राप्त होते हैं ।

    वृष लग्न – नवम भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal navam bhav me :

    जातक धार्मिक , पिता का आदर करने वाला नहीं होता , पत्नी का सुख मिलता है , साझेदारी से लाभ की संभावना रहती है , विदेशों यात्रा / सेटलमेंट का योगबनता है , परिश्रमी का फल अल्प मात्रा में मिलता हैं , सुख सुविधाओं में कमी आती है ।

    वृष लग्न – दशम भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal dasham bhav me :

    प्रोफ्रेशनल लाइफ में परेशानियां आती है , सुख सुविधाओं में कमी आती है , पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । पेट खराब , मन खिन्न रहता है , आकस्मिक धन हानिहोती है ।

    वृष लग्न – एकादश भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mars ekaadash bhav me :

    यहां मंगल देवता के आने से लाभ की संभावनाएं क्षीण होती हैं | साझेदारी से लाभ मिलता है । स्वस्थ्य संबंधी समस्याएं बनी रहती हैं , धन , परिवार , कुटुंब कासाथ नहीं मिलता है , मन खिन्न रहता है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है व् कॉम्पिटिशन में बहुत मेहनत के बाद जीत होती है।

    वृष लग्न – द्वादश भाव में मंगल – Vrish Lagan – Mangal dwadash bhav me :

    द्वादश भाव में आने से व्यय बढ़ते हैं , मेहनत में इजाफा होता है, ऋण , रोग, शत्रु, बढ़ जाते हैं, पत्नी – पार्टनर से समस्या व् व्यवसाय में भी परेशानियां उठानीपड़ती हैं । विपरीत राजयोग की स्थिति में परिणाम शुभ जानने चाहियें ।

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