मेष लग्न की कुंडली में मंगल – mesh lagn kundali me mangal (mars)

मेष लग्न की कुंडली में मंगल – Mesh Lagn Kundali me Mangal (Mars)

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  • आज हम मेष लग्न की कुंडली के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में मंगल कैसे फल प्रदान करते हैं । मंगल प्रथम और अष्टम भाव का स्वामी होता है । यह लग्नेश और अष्टमेश होने से जातक के रूप, चिन्ह, जाति, शरीर, आयु, सुख दुख, विवेक, मष्तिष्क, व्यक्ति का स्वभाव, आकॄति और संपूर्ण व्यक्तित्व के बारे में जानकारी प्रदान करता है । मेष लग्न में अगर मंगल बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर स्थित हो तो समस्त कुंडली में शुभ फ़ल अधिक प्राप्त होते हैं । बलवान और शुभ मंगल फ़लों में वॄद्धिकारक होता है जबकि कमजोर मंगल इन फ़लों में न्यूनता पैदा करता है । यहां बताते चलें की कुंडली के 6 , 8 , 12 भावों में जाने से योगकारक गृह भी अपना शुभत्व खो देते हैं और खराब परिणाम देने के लिए बाध्य हो जाते हैं । केवल विपरीत राज योग की कंडीशन में हो 6 , 8 , 12 भावों में पड़े गृह शुभ फल प्रदान करने की स्थिति में आते हैं । यदि गृह नीच राशिस्थ हो जाये तो अधिकतर अशुभ फल ही प्रदान करेगा ।




    मेष लग्न – प्रथम भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal pratham bhav me

    मेष लग्न की कुंडली में मंगल यदि लग्न में ही विराजमान हो जाएँ तो लग्न का स्वामी लग्न में ही स्थित होने से रुचक नामक पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है । जातक रोबीला, काम काज में तेज, जबरदस्त फिजिकल स्ट्रेंथ वाला होता है । चौथे, सातवें व् आठवें भावों से सम्बंधित सुखों में वृद्धिकारक होता है ।

    मेष लग्न – द्वितीय भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal dweetiya bhav me

    धन, कुटुंब, परिवार या कह लीजिये सराउंडिंग्स लिए बहुत अच्छा होता है । यदि मंगल अच्छी डिग्री में हो तो ऐसे जातक के परिवार में आने के बाद से घर में किसी चीज की कमी नहीं रहती है । मंगल स्वभाव से क्रूर हैं तो वाणी के घर में आने से ऐसे जातक की वाणी थोड़ी तेज तर्रार हो सकती है । पांचवें, आठवें व् नवें भावों से सम्बंधित सुखों में वृद्धिकारक होता है ।

    मेष लग्न – तृतीय भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal treetiya bhav me :

    तीसरा घर मंगल का कारक भाव होता है । यहाँ स्थित मंगल जातक के पराक्रम में वृद्धि करता है । ऐसा जातक छोटे भाई बहनों का ध्यान रखने वाला , बहुत मेहनती होता है ।छठे , नवें व् दसवें भावों से सम्बंधित सुखों में वृद्धिकारक होता है ।

    मेष लग्न – चतुर्थ भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal chaturth bhav me :

    यहाँ मंगल अपनी नीच राशि कर्क में आ जाने से इस लग्न कुंडली में एक योग कारक गृह नहीं रह जाते हैं । सीने में कोई रोग उत्पन्न हो सकता है । प्रॉपर्टी लेने में प्रॉब्लम आती है , माता से मन मुटाव , पत्नी से परेशानी – झगड़ा , काम काज में समस्याएं , बड़े भाई बहन का साथ ना मिलना व् इनसे परेशानी मिलती है ।

    मेष लग्न – पंचम भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal pancham bhav me :

    यहाँ मंगल अग्नि तत्व राशि सिंह व् त्रिकोण में आने से जातक को उत्तम संतान प्राप्ति का योग बनता है । आकस्मिक धन लाभ , लव लाइफ , ससुराल व् विदेश से लाभ प्राप्ति के योग बनते हैं।



    मेष लग्न – शष्टम भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal shashtam bhav me :

    स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्याएं बानी रहती हैं , लड़ाई झगडे लगे रहते हैं , कोर्ट कैसे से संबधित समस्याएं लगी रहती हैं । पिता से मन मुटाव लगा रहता है और धन हानिकी संभावना बनी रहती है ।

    मेष लग्न – सप्तम भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal saptm bhav me

    जातक पत्नी व् अन्य साझेदारों के लिए शुभ फल प्रदान करने वाला , मेहनती व् अपने कुटुंब के लिए सभी सुख सुविधाएं जुटाने वाला होता है । पत्नी-परिवार से बहुत लगाव रखने वाला होता है । वाणी रोबीली व् कभी कभी बहुत अधिक तेज तर्रार होती है ।

    मेष लग्न – अष्टम भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal ashtm bhav me :

    परेशानियां लगातार बनी रहती हैं , परिश्रम के उचित परिणाम नहीं मिलते हैं , लाभ में कमी आती है , परिवार से नहीं बनती ऐसे जातक को परिश्रम केअनुकूल परिणाम नहीं प्राप्त होते हैं ।

    मेष लग्न – नवम भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal navam bhav me :

    त्रिकोण व् धनु राशि में आने से जातक धार्मिक , पिता का आदर करने वाला , विदेशों से लाभ प्राप्त करने वाला , छोटे भाई बहन का ध्यान रखने वाला , परिश्रमी व् सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त करने वाला मात्र भक्त होता है ।

    मेष लग्न – दशम भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal dasham bhav me :

    मकर राशि में आने से मंगल उच्च के हो जाते हैं । जातक रोबीला , अपने काम के लिए हमेशा इनकी ऊर्जा सकारात्मक रहती है । जातक परिश्रमी व् सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त करने वाला मात्र भक्त होता है और पुत्र प्राप्ति का योग निर्मित करता है ।

    मेष लग्न – एकादश भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal ekaadash bhav me

    यहां मंगल देवता के आने से लाभ की संभावनाएं लगातार बनी रहती हैं । स्वस्थ्य संबंधी समस्याओं से भी निजात मिलती है , छोटी मोती बीमारी हो भी जाए तो कुछ समय में ठीक हो जाती है । धन का आगमन लगातार बना रहता है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है व् कॉम्पिटिशन में जीत होती है।

    मेष लग्न – द्वादश भाव में मंगल – Mesh Lagan – Mangal dwadash bhav me

    द्वादश भाव में आने से व्यय बढ़ते हैं , मेहनत में इजाफा होता है , ऋण , रोग , शत्रु , बढ़ जाते हैं , पत्नी – पार्टनर से समस्या व् व्यवसाय में भी परेशानियां उठानी पड़ती हैं ।

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