नमस्कार मित्रों । ज्योतिषहिन्दीडॉटइन प्लेटफार्म पर आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ । आज आपके समक्ष कुछ ऐसे ज्योतिषीय योगों की चर्चा करने जा रहा हूँ जो जिनसे आप आसानी से अनुमान लगा सकते हैं की आप के अथवा जातक के अंदर कामुकता का स्तर क्या है ? आप अत्यधिक कामुक हैं या नहीं ? सेक्स लाइफ को लेकर किस हद तक जा सकते हैं आदि ऐसे कई सवालों के जवाब आप स्वयं खोजने में सक्षम हो पाएंगे । आगे आपकी मेहनत और तपश्चर्या पर निर्भर करता है । आइये ज्योतिष और सेक्स लाइफ विषय के अंतर्गत जानने का प्रयास करते हैं कुछ ऐसे ज्योतिषीय योगों के बारे में जो जातक के सामान्य से अधिक कामुक होने का संकेत देते हैं
ज्योतिष और सेक्स लाइफ Jyotish and Sex Life :
यदि लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक का विपरीत लिंग के प्रति अधिक आकर्षण होता है । जातक की सोच पर इसका असर आजीवन देखा जा सकता है ।
यदि लग्नेश का सम्बन्ध बारहवें भाव में स्थित हो जाये और बारहवें भाव का स्वामी लग्न में स्थित हो जाये तो ऐसा जातक अत्यंत कामुक हो सकता है ।
Also Read: नक्षत्रों का शरीर के अंगों पर प्रभाव” Effect of Constellations on Body Parts
यदि लग्नेश और द्वादशेश एक दुसरे के साथ युति बनाकर केंद्र अथवा त्रिकोण में स्थित हो जाएँ ।
यदि लग्नेश और द्वादशेश एक दुसरे से केंद्र में स्थित हों तो भी जातक को अत्यधिक कामुक बनाते हैं ।
ज्योतिष में शुक्र रानी को भी कहा जाता है और मंगल सेनापति है, पराक्रम है । यह युति जातक की कामवासना को तीव्रता से उत्तेजित करती है । द्वादश भाव का सम्बन्ध शैया सुख से होता है । यदि शुक्र मंगल की युति द्वादश भाव में हो जाये तो जातक की कामवासना में वृद्धि हो जाती है ।
तुला राशि काल पुरुष कुंडली में सप्तम राशि होती है और सातवां भाव सेक्स ऑर्गन्स का भी होता है । यदि तुला राशि में चंद्र और शुक्र की युति हो जाए तो जातक को अत्यधिक कामुक बनती है । ऐसी युति में राहु या मंगल की युति भी हो जाये ( भले ही दृष्टि सम्बन्ध से ) तो जातक वासना की पूर्ती के लिए किसी भी हद तक जाने को तत्पर रहता है ।
सप्तम भाव सेक्स ऑर्गनस का घर होता है । इसमें यदि शुक्र स्थित हो जाये और साथ में मंगल अथवा राहु भी स्थित हो तो जातक अथवा जातिका के जीवन में अनेक बार अलग अलग लोगों से सेक्स सम्बन्ध होने की सम्भावना बनती है ।
ध्यान देने योग्य है की चौथा भाव सुख स्थान है और सप्तम सेक्स ऑर्गन्स का । इसी प्रकार जन्मपत्री का बारहवां भाव शैया सुख को दर्शाता है । अब यदि शैया सुख का कारक चौथे अथवा सातवें भाव से सम्बन्ध बना ले या सातवें और बारहवें भाव के स्वामी चौथे भाव में हों अथवा चतुर्थेश के साथ कहीं युति अथवा दृष्टि सम्बन्ध वनाते हों तो काम वासना प्रचुर मात्रा में होने के संकेत आते हैं । वहीँ इस प्रकार की युति में राहु अथवा मंगल का भी संयोग हो जाए तो साथ में पराक्रम भी जुड़ जाता है जिसके परिणाम का अनुमान आप स्वयं लगा सकते हैं । ज्योतिषहिन्दीडॉटइन का कोई दावा नहीं हैं की हम बिलकुल सही हैं । हमने आपको केवल एक अनुमान साझा किया है । अपने तर्क और अनुभव की कसौटी पर परखें और आगे बढ़ें । आपका कल्याण हो ।